स्रोत - ANI

कोरोना वायरस के कारण पूरे भारत में पूर्ण रूप से तालाबंदी कर दी गई थी जिसके चलते लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने मूल स्थान पर जाने के लिए निकल पड़े। कुछ लोगों ने अपनी यात्रा पैदल ही शुरू कर दी तो कुछ ने अपनी साइकिल से।
लाखों मजदूर अपना काम धंधा ठप हो जाने के कारण मजबूरी में शहरों से गांव की तरफ पलायन करने लगे जिसमें ऐसी बहुत सी दर्द भरी कहानियां देखने और सुनने को मिली।
जिसमें से एक कहानी 15 वर्षीय ज्योति की है जिसने अपने घायल पिता मोहन पासवान को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से दरभंगा तक 1200 किलोमीटर का सफर तय करके पहुंची।
पूरी दुनिया इसे एक साहसिक कदम के रूप में देख रही है और चारों तरफ इस कहानी की चर्चा शुरू हो गई।
इसके बाद भारतीय साइकिलिंग महासंघ (CFI) के निदेशक वीएन सिंह ने कोरोना वायरस के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच अपने पिता को साइकिल पर बैठाकर गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंची ज्योति को बड़ा ऑफर दिया है।

वीएन सिंह ने कहा, ‘हम तो ऐसे प्रतिभावान खिलाड़ियों की तलाश में लगे रहते हैं और अगर लड़की में इस तरह की क्षमता है तो हम उसे जरूर मौका देंगे। आगे उन्हें ट्रेनिंग और कोचिंग शिविर में डाल सकते हैं। उससे पहले हालांकि हम उनको परखेंगे। अगर वह हमारे मापदंड पर खरी उतरती हैं तो उनकी पूरी सहायता करेंगे। विदेशों से आयात की गई साइकिल पर उन्हें ट्रेनिंग कराएंगे।

ज्योति ने कहां की मुझे साइकिल में रेस लगाने के लिए फोन आया परंतु मैंने कहा कि मैं अभी रेस नहीं लगा सकती हूं क्योंकि मेरे पैर और हाथ सब में दर्द है अगर एक महीने बाद मुझे मौका मिलता है तो मैं ट्रायल देना चाहूंगी। ज्योति ने यह भी बताया कि मैं अपनी पढ़ाई छोड़ चुकी हूं लेकिन अगर मुझे दोबारा मौका मिलता है तो अपनी पढ़ाई दोबारा शुरू करूंगी।
भारत में अगर खोजा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी बहुत सी प्रतिभाएं छिपी हुई है लेकिन मौका ना मिल पाने के कारण ऐसी प्रतिभाएं कहीं गुम हो जाती हैं।