कोरोना वायरस की महामारी के दौर में जहां एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना की दवाई ढूंढने में लगी है वही पतंजलि ग्रुप ने मंगलवार को आयुर्वेदिक किट से कोरोना संक्रमण के मरीज ठीक हो रहे हैं इसका दावा किया। वही आयुष मंत्रालय ने इस दवा के लिए किए जा रहे दावों की जांच करने का फैसला किया है। आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को चेतावनी दी है कि ठोस वैज्ञानिक सबूतों के बिना कोरोना के इलाज का दावे के साथ दवा का प्रचार- प्रसार किया गया तो उसे ड्रग एंड रेमेडीज कानून के तहत संज्ञेन अपराध माना जाएगा। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जब पूरी दुनिया कोरोना के इलाज खोजने के लिए जूझ रही है और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में बिना वैज्ञानिक सबूत के किसी दवा से इलाज का दावा खतरनाक साबित हो सकता है और करोड़ों लोग इस भ्रामक प्रचार के जाल में फंस सकते हैं। इसलिए इस दवा के प्रचार-प्रसार वाले विज्ञापनों पर तत्काल रोक लगाने के साथ ही पतंजलि को जल्द-से-जल्द कोरोनिल दवा में इस्तेमाल किये गए तत्वों का विवरण देने को कहा गया है।
बाबा रामदेव के खिलाफ हुआ मुकदमा दर्ज
नवभारत टाइम्स की खबर के अनुसार कोरोनावायरस की दवाई कोरोनिल पर बाबा रामदेव जो दावा कर रहे हैं। लेकिन अब बाबा रामदेव पर मुकदमा दर्ज हो गया है। बाबा रामदेव के खिलाफ यह मुकदमा जयपुर के रहने वाले डॉ संजीव गुप्ता ने दर्ज किया है । डॉक्टर संजीव गुप्ता ने यह मुकदमा जयपुर के गांधीनगर के थाने में दर्ज कराया है । संजीव गुप्ता ने अपने बयान में कहा है कि बाबा रामदेव कोरोनावायरस जैसे संकट में कोरोना की दवा बनाने का दावा करके बाबा रामदेव लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
मंत्रालय ने पतंजलि से मांगी जानकारी
आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से दवा के दावों का विज्ञापन और प्रचार तब तक बंद करने को कहा है जब तक इस मुद्दे की विधिवत जांच नहीं हो जाती। मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद से इस दवा के नाम और संरचना की जानकारी तुरंत उपलब्ध कराने के लिए कहा है। साथ ही उस लैब और अस्पताल के बारे में भी जानकारी देने को कहा गया है, जहां रिसर्च और ट्रायल किया गया। सैंपल साइज, इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी क्लीयरेंस, रिजल्ट ऑफ स्टडी की भी जानकारी मंत्रालय ने मांगी है। वहीं आईसीएमआर ने भी इस दवा को लेकर हो रहे दावों से पल्ला झाड़ लिया है।
कोरोना वायरस की महामारी ने दुनियाभर में तबाही मचाई हुई है। लेकिन अब तक इसका तोड़ निकालने वाली कोई दवाई नहीं बन पाई है। लेकिन अब योगगुरु बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी दावा कर रही है कि उन्होंने इस महामारी को मात देने वाली दवा तैयार कर ली है।
रामदेव बाबा ने कहा
दरअसल मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में रामदेव ने कहा कि दुनिया इसका इंतजार कर रही थी कि कोरोना वायरस की कोई दवाई निकले आज हमें गर्व है कि कोरोना वायरस की पहली आयुर्वेदिक दवाई को हमने तैयार कर लिया है। इस आयुर्वेदिक दवाई का नाम कोरोनिल है।
रामदेव बाबा ने कहा कि आज ऐलोपैथिक सिस्टम मेडिसन को लीड कर रहा है, हमने कोरोनिल बनाई है। जिसमें हमने क्लीनिकल कंट्रोल स्टडी की, सौ लोगों पर इसका टेस्ट किया गया। तीन दिन के अंदर 65 फीसदी रोगी पॉजिटिव से नेगेटिव हो गए।
योगगुरु रामदेव ने कहा कि सात दिन में सौ फीसदी लोग ठीक हो गए, हमने पूरी रिसर्च के साथ इसे तैयार किया है। हमारी दवाई का सौ फीसदी रिकवरी रेट है और शून्य फीसदी डेथ रेट है। रामदेव ने कहा कि भले ही लोग अभी हमसे इस दावे पर प्रश्न करें, हमारे पास हर सवाल का जवाब है। हमने सभी वैज्ञानिक नियमों का पालन किया है।
आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक
आचार्य बालकृष्ण के मुताबिक दिव्य कोरोनिल टैबलेट में शामिल अश्वगंधा कोविड-19 के आरबीडी को मानव शरीर के एसीई से मिलने नहीं देता। इससे संक्रमित मानव शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता। वहीं गिलोय भी संक्रमण होने से रोकता है। तुलसी का कंपाउंड कोविड-19 के आरएनए-पॉलीमरीज पर अटैक कर उसके गुणांक में वृद्धि करने की दर को न सिर्फ रोक देता है, बल्कि इसका लगातार सेवन उसे खत्म भी कर देता है। वहीं श्वसारि रस गाढ़े बलगम को बनने से रोकता है और बने हुए बलगम को खत्म कर फेफड़ों की सूजन कम कर देता है।
इन औषधियों से बनाई गई दवा
पतंजलि सीईओ के अनुसार, कोरोनिल में गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल का मिश्रण है। उनके मुताबिक, यह दवा दिन में दो बार- सुबह और शाम को ली जा सकती है। पतंजलि के अनुसार, अश्वगंधा से कोविड-19 के रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन को शरीर के ऐंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम से नहीं मिलने देता। यानी कोरोना इंसानी शरीर की स्वस्थ्य कोशिकाओं में घुस नहीं पाता। वहीं गिलोग कोरोना संक्रमण को रोकता है। तुलसी कोविड-19 के RNA पर अटैक करती है और उसे मल्टीप्लाई होने से रोकती है।