भारत लगातार चीन के साथ अपने रिश्ते सुधारने के प्रयासों में लगा हुआ है, लेकिन वो अपनी संप्रभुत्ता से समझौता करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है।
जनरल रावत ने कहा, “सरकार शांतिपूर्ण ढंग से मामला सुलझाना चाहती है। रक्षा सेवाओं का काम निगरानी रखना और ऐसे अतिक्रमण को घुसपैठ में तब्दील होने से रोकना है। अगर LAC पर पूर्वस्थिति बहाल करने की कोशिशें सफल नहीं होती हैं तो सैन्य कार्रवाई के विकल्प पर भी विचार किया जाएगा।”
जनरल रावत ने एचटी को बताया, “एलएसी के साथ हुए बदलाव अलग-अलग धारणाओं के कारण होते हैं। रक्षा सेवाओं पर निगरानी रखने, निगरानी करने और घुसपैठ को रोकने के लिए ऐसे अभियानों को रोकने का काम सौंपा जाता है। किसी भी ऐसी गतिविधि को शांतिपूर्वक हल करने और घुसपैठ को रोकने के लिए सरकार के संपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाया जाता है। रक्षा सेवाएं हमेशा सैन्य कार्यों के लिए तैयार रहती हैं, फिर चाहें उसमें एलएसी के साथ यथास्थिति को बहाल करने के सभी प्रयासों का सफल न होना ही शामिल क्यों न हो।”
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सभी लोग इस उद्देश्य के साथ सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं कि पीएलए लद्दाख में यथास्थिति बहाल करें।