राहुल मिश्रा
विश्वभर में मानव सभ्यता का सबसे बड़ा दुश्मन बन बैठे कोरोना वायरस संक्रमण के चलते विश्वभर की आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ी हुई है,कारखाने बंद है रेल बंद है और इन सबके बीच कोरोना वायरस संक्रमण के आंकड़े भी पचास हजार पार कर चुके हैं। देश में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते हुए संक्रमण को देखते हुए गृह मंत्रालय ने लाकडाउन की अवधि को 17 मई तक बढ़ा दिया है। हालांकि इस अवधि में ग्रीन,ऑरेंज तथा रेड जोन में तमाम तरीके की छूट भी दी गई हैं। लोगों को मिलने वाली छूट में सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि देश में कुछ शर्तों के साथ शराब की दुकानें को भी अनुमति दी गई है इस अनुमति के आधार पर उमड़ी भीड़ को देखकर निदा फाजली का शेर याद आ जाता है
“कुछ भी बचा नहीं कहने को हर बात हो गई
आओ कहीं शराब पिए रात हो गई”
शराब की दुकान खुलने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग के सारे नियम तार तार हो गये है देश के अधिकांश हिस्सों में कई किलोमीटर लंबी लाइनें लगी हुई हैं। कई जगहों पर पुलिस को बल का भी प्रयोग करना पड़ा है भीड़ को नियंत्रित करने के लिए।
क्या कहती है केंद्र सरकार की गाइडलाइन
केंद्र सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइन के अनुसार एक समय में अधिकतम 5 व्यक्तियों के साथ न्यूनतम 6 फीट की सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के बाद शराब और तंबाकू की बिक्री की अनुमति होगी। लेकिन दुकानें खुलते ही सारे नियमों की धज्जियां उड़ गई हैं दुकानों के बाहर लंबी कतारें लग गई ना तो सोशल डिस्टन्सिंग का पालन हुआ और ना ही सुरक्षा मानक अपनाए गए।
शराब बेचने से कितने का फायदा
शराब राज्य सरकारों के लिए राजस्व प्राप्ति का सबसे बड़ा जरिया होता है। इसलिए राज्य सरकार हर साल इस मद में राजस्व बढ़ाने का जरिया खोजती रहती हैं। यही कारण है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय एवं राज्य राज्य मार्गों के 500 मीटर की दूरी तक शराब की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया था। तो अनेक राज्यों ने अपनी सुविधा के अनुसार राज्य मार्गों को ही तहसील मार्ग में बदल दिया। लाकडाउन के कारण शराब की दुकानों पर उमड़ती भीड़ के मद्देनजर आंध्र प्रदेश की सरकार ने शराब पर 25% अतिरिक्त कर लगाने का फैसला लिया था। लेकिन इसके बाद भी भीड़ कम नहीं हुई तो इस 25% को 75% कर दिया। दिल्ली सरकार ने भी शराब पर 70 फ़ीसदी शराब उपकर लगाया है। हालात को देखते हुए पंजाब तथा छत्तीसगढ़ ने होम डिलीवरी की भी तैयारी कर ली है साथ ही साथ ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी जोमैटो ने भी अपना एक प्रपोजल इंडियन वाइन शॉप एसोसिएशन को भेजा है।
दिल्ली में एक शख्स ने शराब खरीदने वालों पर फूल बरसाने शुरू कर दिए थे जब कारण पूछा गया तो उसने बताया कि सरकार के पास पैसा नहीं है और शराब खरीदने वाला हर कोई देश की अर्थव्यवस्था को सहारा दे रहे हैं
जिस तरह से अमेरिका, यूरोप, इटली, जर्मनी और रूस आदि देशों में कोरोना वायरस भयावह रूप दिखा रहा है। उसी वक़्त हमारे देश में राजस्व बढ़ाने के लिए शराब के ठेकों को खोलने का निर्णय बिल्कुल भी उचित नहीं लगता बहुत बहुत सारे लोगो के पास आज खाने के लिए भी पैसे नहीं है और वह सरकारों पर निर्भर है। लेकिन शराब की दुकान खुलते ही सवेरे-सवेरे शराब की दुकान पर लाइन लगा लेने से कही न कहीं इस देश में पारिवारिक हिंसा दुर्घटनाओं और अपराधों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी होगी।
आज हमारे देश के नीति निर्माताओं को यह सोचना चाहिए कि कहीं शराब के ठेके खोलकर राजस्व बढ़ाने की यह सोच आपदा काल में लोगों को संक्रमित कर के राजस्व पर उल्टा बोझ न डाल दे। समय आ गया है कि राज्य सरकारों को राजस्व जुटाने के लिए शराब नहीं बल्कि अन्य संसाधनों पर ध्यान लगाना होगा। शराब विकास नहीं विनाश करती है हर वर्ष भारत में शराब की वजह से 5लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं जिनमें से 1 लाख लोग हर साल अपनी जान गंवा देते हैं। शराब की दुकानों पर भीड़ जुटना पूरे देश के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।