ममता बनर्जी
ममता बनर्जी

पश्चिमी तटीय राज्य गोवा में जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है, राज्य की चुनावी हवा तेजी से अपना रुख बदल रही है. 4 महीने पहले ही राज्य की राजनीति में कदम रखने वाली ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी आज चर्चा का केंद्र बन चुकी है. चाहे बीजेपी हो, कांग्रेस या फिर आम आदमी पार्टी सभी टीएमसी पर हमलावर हैं. टीएमसी की बढ़ती लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सिर्फ 4 महीने में ही प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री समेत कई पूर्व विधायक, जिला पंचायत सदस्य, पंच सदस्य और सरपंच भी टीएमसी में शामिल हो चुके है. इसके अलावा राज्य की सबसे पुरानी पार्टी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी भी अब टीएमसी के साथ आ चुकी है.

गोवा के मुख्यमंत्री पिछले कुछ दिनों से टीएमसी की तरफ से लॉन्च की जा रही योजनाओं की जमकर आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने टीएमसी की महत्वाकांक्षी “गृह लक्ष्मी योजना” पर निशाना साधते हुए कहा कि बाहरी लोगों पर भरोसा न करें, हम पहले से ही गोवा की बहनों को उनकी शादी पर 1 लाख रूपये दे रहे हैं.” मुख्यमंत्री की इन बातों से उनकी बौखलाहट साफ झलकती है. वो टीएमसी की योजनाओं को जमीन पर मिल रही सफलता से घबराए हुए हैं. टीएमसी की गोवा इंचार्ज और लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने दावा किया है कि इस योजना के तहत अब तक 2.5 लाख से ज्यादा घरों की महिलाएं अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुकी हैं. टीएमसी की इस सफल चुनावी दांव से बीजेपी इतनी परेशान है कि उसने अपनी सभी महिला नेताओं की फौज इस योजना को विफल बनाने के लिए उतार दी है, लेकिन जमीन पर इसकी सफलता ने गोवा की चुनावी बयार को मोड़ दिया है.

कांग्रेस भी टीएमसी की बढ़ती लोकप्रियता से परेशान नजर आ रही है. टीएमसी का दामन थामने वाले ज्यादातर नेता कांग्रेस से आए हैं. सबसे हालिया उदाहरण है कांग्रेस की प्रवक्ता और तेजतर्रार नेता राखी प्रभुदेसाई का, जो कांग्रेस छोड़ टीएमसी में शामिल हो गई हैं. राखी के टीएमसी में शामिल होने की खबर राष्ट्रीय मीडिया में भी सुर्खियों में छाई रही. ऐसे में कांग्रेस की घबराहट साफ समझ में आती है. पिछले चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाबजूद सरकार न बना पाने की विफलता और कमजोर विपक्ष का उदाहरण प्रस्तुत करने वाली पार्टी अब अपनी जमीनी पकड़ भी खो चुकी है. 4 महीने में विपक्ष के तौर पर टीएमसी ने गोवा के सभी बड़े मुद्दे मुखरता से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उठाए हैं. चाहे वो सिद्धि नाईक का मुद्दा हो, ओल्ड गोवा हेरिटेज का मुद्दा या फिर माइनिंग का मुद्दा हो, या थ्री लीनियर प्रोजेक्ट्स का. इस मसले पर कांग्रेस टीएमसी से कोसों पीछे रह गई.

आम आदमी पार्टी गोवा में 5 सालों से ज्यादा समय से सक्रिय है. अरविंद केजरीवाल ने पिछले कई महीनों में लगातार गोवा का दौरा किया है. अपने हाल के एक दौरे में उन्होंने बयान दिया कि टीएमसी के पास गोवा में 1 प्रतिशत वोट भी नहीं है. लेकिन जो इतने सालों से गोवा में सक्रिय अपनी आम आदमी पार्टी के वोट प्रतिशत बताने में असमर्थ हैं वे टीएमसी के वोटों को लेकर इतने चिंतित क्यों हैं?

कुल मिलाकर ऐसा लग रहा है कि बंगाल के बाहर पांव पसारने की कोशिश में लगी टीएमसी ने अपने पैर गोवा में तो कम से कम मजबूती से जमा लिए हैं. इसका फायदा आने वाले चुनाव में कितना होता है और पार्टी को राज्य की 40 सीटों में से कितनी सीटें मिलती है, ये देखने वाली बात होगी.