कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी।

कोरोना महामारी के चलते कांग्रेस और सरकार में लगातार आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रवासी मजदूरों की समस्या को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। सोनिया गांधी ने स्पीकअप इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की और कहा कि आजादी के बाद पहली बार ऐसा दर्द का मंजर देखने को मिला है। लाखों मजदूर नंगे पांव हजारों किलोमीटर पैदल चलकर अपने घरों की ओर जाने को मजबूर हुए हैं। इन मजदूरों की सिसकियां सभी ने सुनी है बस सरकार ने नही।


सोनिया गांधी ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह खजाने का ताला खोले। इसके साथ ही उन सभी लोगों को राहत दी जाए जो परेशान हैं या जिन्हें जरूरत है। उन्होंगे सरकार से हर गरीब परिवार को प्रतिमाह 7500 रुपये देने का आग्रह भी किया। इसके अलावा प्रवासी मजदूरों को भी सुरक्षित घर पहुंचाने का अनुरोध किया।

आगे उन्होंने कहा कि ‘करोड़ों लोगों के रोजगार चले गए हैं, लाखों धंधे बंद हो चुके हैं, देश का किसान अपनी फसल बेचने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है। पूरा देश दर्द से गुज़र रहा है, इस पीड़ा को झेल रहा है लेकिन शायद सरकार को इसका थोड़ा से भी अंदाजा नहीं हुआ है। लॉकडाउन के पहले दिन से ही हर कांग्रेसी, अर्थशास्त्रियों और समाज के हर तबके ने कहा कि यह वक्त आगे बढ़कर घावों पर मरहम लगाने का है।’

सोनिया गांधी ने यह भी आग्रह किया कि सरकार जरूरतमन्दों को वित्तीय मदद भी पहुंचाए। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मजदूरों को मुफ्त परिवहन सेवा उपलब्ध कराने के साथ ही गरीब परिवारों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रमों की जितनी जल्दी हो सके वित्तीय मदद की जाए। इसके साथ ही सरकार को कहा कि वह मनरेगा के तहत 200 कामकाजी दिन सुनिश्चित करे और सभी जरूरतमंदों के लिए राशन का प्रबंध करे।

उन्होंने आखिर में सभी कांग्रेस समर्थ, पदाधिकारी और कांग्रेस से जुड़े सभी सदस्यों के बारे में कहा कि सभी शुरुआत से ही सरकार से इन मुद्दों पर अपनी मांगों को दोहरा रहे हैं। इसके साथ उन्होंने यह कहा कि सभी एक साथ मिलकर इस लड़ाई को जीतेंगे।