स्रोत: ANI

आज हिमाचल प्रदेश में दुनिया की सबसे लंबी हाईवे सुरंग खुल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामरिक रूप से अहम सभी मौसम में खुली रहने वाली अटल सुरंग (अटल टनल) का आज यानी शनिवार को सुबह 10 बजे हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह के बाद पीएम मोदी ने लाहौल स्पीति के सीसू और सोलांग घाटी में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में संबोधित किया।

आज करोड़ों हिमाचल लोगों का इंतजार खत्म हुआ

पीएम मोदी ने संबोधित करते हुए कहा, आज सिर्फ अटल जी का ही सपना पूरा नहीं हुआ है, आज हिमाचल करोड़ों लोगों का भी दशकों पुराना इंतजार खत्म हुआ है। इस टनल से मनाली और केलांग के बीच की दूरी 3- 4 घंटे कम हो ही जाएगी।
साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था। अटल जी की सरकार जाने के बाद, जैसे इस काम को भी भुला दिया गया। हालात यह है कि 2013- 14 तक चैनल का सिर्फ 13 सौ मीटर का काम ही हो पाया था।

2040 में जाकर सुरंग पूरा हो पाता

पीएम नरेंद्र मोदी संबोधन के दौरान आते है, एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 मैं जाकर पूरा हो पाता। आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जो लिखिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता। और उनका सपना पूरा होता।
अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई। नतीजा यह हुआ कि जहां हर साल पहले 300 मीटर सुरंग बन रही थी, उसकी गति बढ़कर 1400 मीटर प्रति वर्ष हो गई। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर लिया।

कोसी महासेतु का निर्माण किया गया

अटल टनल की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया। लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40- 50 साल तक बंद रही। क्या मजबूरी थी, क्या दबाव था, मैं इसकी विस्तार में नहीं जाना चाहता। अटल जी के साथ ही एक और कुल का नाम जुड़ा है-कोसी महासेतु का। बिहार में कोसी महासेतु का शिलान्यास कि अटल जी ने ही किया था। 2014 में सरकार में आने के बाद कोसी महासेतु का काम भी हमने तेज करवाया। दिन पहले ही कोसी महासेतु का भी लोकार्पण किया जा चुका है।
देश में ही आधुनिक अस्त्र-शस्त्र, मेक इन इंडिया हथियार बने, इसके लिए बड़े रिफॉर्म किए गए हैं। लंबे इंतजार के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अब हमारे सिस्टम का हिस्सा है। देश की सेनाओं की आवश्यकता अनुसार प्रोक्योरमेंट और प्रोडक्शन दोनों से बेहतर समन्वय स्थापित हुआ है।