राहुल मिश्रा
आज कोरोना महामारी हमारी मानव सभय्ता का सबसे बड़ा दुश्मन बन बैठा है। पूरा विश्व इस महामारी के खिलाफ एक जुट होकर लड़ रहा है, लेकिन इन सब के बीच हमारे पडोसी मुल्क चीन और पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है। यह दोनों देश बार-बार हमारे देश की सरहदों पर अपना गन्दा खेल खेलने में लगे हुए हैं। आज के इस दौर में यह कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा की इन दोनों देशो की नीतिया किसी न किसी तरह भारत को अस्थिर करना और चोट पहुंचाने की है।
अभी हाल ही में चीन ने नार्थ सिक्किम और लद्दाक के रास्ते भारत में घुसपैठ की कोशिश की जिसे भारतीयों सैनिको ने नाकाम कर कर दिया है। हालांकि भारत को सतर्क रहने की जरूरत है। 5 मई को पांगोंग झील की उत्तरी तट पर चीन और भारत के सैनिक भीड़ गए थे,वहीं 9 मई को नातू ला पास के नजदीक भारत और चीन के सैनिकों में झड़प हुई वहीं दूसरी तरफ लद्दाक में हुई झड़प के बाद चीन के हेलीकाप्टर भी वास्तविक सीमा रेखा के पास मंडराते दिखे और इन सब के बीच भारत ने भी अपने लड़ाकू विमान भेज दिए।
आखिर चीन क्यों भारत को उकसाना चाहता है!
कोरोना वायरस के कारण चीन पूरी दुनिआ में बदनाम हो चुका है।तमाम कम्पनिया चीन से अब बाहर जा रही हैं वही अमेरिका की कंपनी बज फोटोज ने चीनी सरकार,सेना और वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी के खिलाफ 20 ट्रिलियन डालर हर्जाने का मुकदमा लगा दिया है। दूसरी तरफ जर्मनी ने भी चीन को कोरोना के कारण हुए नुकसान के लिए 149 बिलियन यूरो का बिल भेजा है,जिससे चीन परेशान है। चीन विश्व समुदाय का ध्यान महामारी से हटाना चाहता है और शायद यही कारण है कि जिसकी वजह से चीन भारत के साथ एक बार फिर से सीमा विवाद में उलझना चाहता है। दूसरी तरफ इनके रवैए में आई इस आक्रामकता का कारण एक और माना जा रहा है और वह यह है कि भारतीय मौसम विभाग ने अपनी मौसम रिपोर्ट और अनुमान में पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद आदि कश्मीर के क्षेत्रों को भी शामिल कर लिया है और इन क्षेत्रों का भी मौसम बताना शुरू कर दिया है इससे चीन को अपने प्रभाव कम होने का खतरा सताने लगा है। अब समय आ गया है कि भारत को एक बार फिर से सतर्क रहने की जरूरत होगी।
क्या है वास्तविक सीमा रेखा और इसे जुड़ा विवाद!
भारत व चीन के बीच करीब 3498 किलोमीटर की सीमा रेखा है जिसे कि भारत-चीन ने 1962 के युद्ध के बाद सीमा निर्धारण होने तक मान रखा है। दरअसल भारत और चीन के मध्य कोई सीमा थी ही नहीं भारत की सीमा तिब्बत से लगती थी जिसे कि 1950 में चीन ने अपने कब्जे में कर लिया इसके बाद भारत और चीन के बीच 1954 में पंचशील का समझौता हुआ उस समझौते के अनुसार भारत और चीन ने तय किया कि वह एक दूसरे की संप्रभुता अखंडता एकता का सम्मान करेंगे, एक दूसरे के प्रति आक्रमक नहीं होंगे,एक दूसरे के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देंगे,एक दूसरे से सम्मान परस्पर लाभकारी संबंध रखेंगे ,अंत में शांतिपूर्ण रहते हुए सह अस्तित्व के साथ रहेंगे। लेकिन 1962 में चीन ने भारत को धोखा दिया और भारत पर हमला कर दिया| भारत का जम्मू कश्मीर का क्षेत्र अक्साई चीन उस हमले में चीन ने अपने कब्जे में कर लिया इसी तरह चीन भारत के अरुणाचल प्रदेश व सिक्किम के कुछ भूभाग पर भी अपना दावा जता रहा है और अपने दावे के आधार पर वह इसे तिब्बत का भूभाग होना होना बता रहा है।
डोकलाम विवाद
भारत और चीन के मध्य 2017 में डोकलाम का विवाद की काफी तनावपूर्ण रहा था। तभी भारत व चीन 73 दिन एक दूसरे के सामने डटे रहे थे। डोकलाम में भारत भूटान के हितों की खातिर चीन के सामने डटा था क्योंकि भूटान की अपनी कोई फौज नहीं है भूटान की सुरक्षा जरूरतों को भी भारत ही पूरा करता है।
भारत-चीन के बीच सीमा विवाद में कई सकारात्मक पहलू भी है
1975 के बाद से भारत चीन ने अपनी सीमा पर आज तक एक भी गोली नहीं चलाई है। कभी तनाव बढ़ता भी है तब दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे को जोर जबरदस्ती से ही रोकते हैं। यहां तक कि दोनों देशों की अग्रिम पंक्ति के सैनिक अपने पास कोई हथियार भी नहीं रखते हैं अगर कभी फौज के वरिष्ठ अधिकारी सीमा की पहरेदारी की निगरानी करने भी चाहते हैं तो उनके अपने पिस्टल रिवाल्वर की नली भी जमीन की ओर रखी जाती है।
1962 में भारत का चीन से जब युद्ध हुआ तो चीन ने लद्दाक के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया था जिसे आज अक्साई चीन कहते हैं फिर मार्च 1963 में पाकिस्तान ने पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर के गिलगित बाल्टिस्तान वाले हिस्से में से एक इलाका चीन को गिफ्ट कर दिया था यह करीब 1900 वर्ग मील से कुछ ज्यादा था। चीन इस क्षेत्र में कॉरिडोर बना चुका है जिससे वह ग्वादर पोर्ट से जोड़ रहा है इसे चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर भी कहा जाता है इसे सिर्फ चीन को ही फायदा होगा।
हमारे देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सही कहा था कि हम दोस्त चुन सकते हैं पड़ोसी नहीं और शायद यही भारत का दुर्भाग्य है की भारत को चीन और पाकिस्तान जैसे घटिया पड़ोसी मिले हैं। यह कभी भी पड़ोसी धर्म का निर्वाह नहीं करते। भारत-चीन के बीच सालाना लगभग 100 अरब डालर का कारोबारी संबंध है, चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है लेकिन उसके साथ भारत का 29 अरब डालर का विशाल व्यापार घाटा भी है यानी चीन बड़े स्तर पर लाभ की स्थिति में है इसके बावजूद चीन भारत के प्रति कृतज्ञता का भाव नहीं दिखाता। भारत को चीन से अपने आयात में भारी कटौती करनी होगी और चोर बाजारी से आ रहे चीनी सामानों को भी बंद करना होगा ताकि उसकी आर्थिक कमर टूट जाए भारत को भी चीन पर अपनी निर्भरता घटाने होगी यही नहीं भारत को चीन से कोरोना महामारी के कारण बाहर जाने वाले जापान दक्षिण कोरिया यूरोप और अमेरिका के दिग्गज कंपनियों को अपने यहां निवेश करने का आकर्षक निमंत्रण देना ही होगा। भारत के लिए संसार का एक बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का मौका भी है। इस अवसर को बिलकुल नहीं छोड़ा जा सकता है।
भारत ने चीन को किनारे करना भी चालू कर दिया है इससे वह और भी ज्यादा नाराज है दरअसल भारत सरकार ने पिछले महीने FDI नियमों में कूटनीतिक बदलाव किए हैं। भारत ने अब यह नियम बनाया है कि किसी पड़ोसी देश की किसी भी कंपनी या व्यक्ति को भारत में किसी भी सेक्टर में निवेश से पहले सरकार की हरी झंडी लेनी होगी लेकिन चीन को यह लग रहा है की भारत का यह फैसला WTO के गैर भेदभाव वाले नियमों का उल्लंघन करता है और मुक्त व्यापार की समान प्रवृत्ति के विरुद्ध जाता है क्योंकि भारत सरकार के फैसले से चीन के हितों पर प्रभाव पड़ना तय है इसलिए वह तिलमिला गया है।
वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान लगातार नियंत्रण रेखा पर फायरिंग करता जा रहा है हालांकि उसे भारतीय सेना से हर बार करारा जवाब ही मिलता है अभी हाल ही में जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान एक और सर्जिकल स्ट्राइक की आशंका से भयभीत है पाकिस्तान अब पूरी तरह से समझ चुका है कि अब यह नया भारत है यह घर में घुसेगा भी और मारेगा भी और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है उड़ी हमले के बाद भारत की सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा में CRPF पर हुए हमले के बाद बालाकोट स्ट्राइक।
वह समय जा चुका है जब भारत सिर्फ निंदा कड़ी निंदा जैसे शब्दों पर विश्वास करता था। भारत अब पूरी तरह समझ चूका है कि पाकिस्तान अव्वल दर्जे का बेशर्म है उसे बातचीत से नहीं समझाया जा सकता हालांकि भारत ने एयर स्ट्राइक के दौरान पाकिस्तान के नागरिकों को कोई क्षति नहीं पहुंचाई थी वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान भारतीय नागरिकों को निशाना बनाने में बिल्कुल नहीं हिचकता।
वही दूसरी तरफ चीन और पाकिस्तान के बाद नेपाल भी हमे आँखे दिखा रहा है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये 90 किलोमीटर लम्बी सड़क का उद्घाटन किआ था,यह सड़क उत्तरखंड राज्य के घातियाभागड़ को हिमालय क्षेत्र में लिपुलेख दर्रे से जोड़ती है,इसी वजह से नेपाल भड़क गया है और परिणाम स्वरुप नेपाल में भारतीय दूतावास के सामने नेपाली लोगो ने जमकर विरोध किया। जबकि इस राजमार्ग से पश्चिमी नेपाल के लोग जो रोजो रोटी के लिए भारत आते है उन्हें भारी फयदा होगा। भारत को इन देशो की हरकतों पर अब पैनी नजर रखनी होगी,नेपाल के शासको को प्यार से समझना होगा। भारत को अब सतर्क रहना होगा।