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शांभवी शुक्ला

देश में फिलहाल राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें सबसे अधिक ज्वलंत मुद्दा कृषि बिल बना हुआ है। सरकार इस को पारित करने के लिए अडिग बनी हुई है। वहीं विपक्ष भी सरकार को आड़े हाथों ले रहा है। जिसका समर्थन किसान भी कर रहे हैं।

बता दें कि रविवार की शाम कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दे दी गई है।

इस संबंध में बीते बुधवार को विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले थे। इस बिल को लेकर ही कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दिया और अकाली दल ने अपना समर्थन वापस ले लिया।

इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में भी इस बिल की चर्चा की थी। उन्होंने इस बिल से किसानों को अपने ऊपर देश में कहीं भी बेचने की आजादी मिली है। वहीं प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में भी कृषि के क्षेत्र में दमखम दिखाने के लिए किसानों की सराहना की।

उनका कहना था कि जमीन से जो जितना जुड़ा होता है, वह बड़े से बड़े तूफान में भी उतना अडिग रहता है। इस काल में हमारे किसान इसका जीवंत उदाहरण है। इसके साथ ही उन्होंने कृषि को आधुनिकरण से सजाने की भी सलाह दी। इसके लिए उन्होंने कई सारे उदाहरण भी पेश किए।