भोपाल, 05 अक्टूबर। मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध वीरांगना रानी दुर्गावती की जयंती पर सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने ट्वीट करके कहा कि रानी दुर्गावती ने रणभूमि में मुगलों को छठी का दूध याद दिलाया। उनकी जयंती पर कोटिशः नमन।
मुख्यमंत्री शिवराज ने इस अवसर पर कवि नरेश की पंक्तियां ‘दुर्गा का रूप लिए साहस, शौर्य की वह मूरत थी। मुगलों को पराभूत कराती देवी की वह सूरत थी।’ करके रानी के पराक्रम को याद किया है। उन्होंने कहा कि शौर्य, पराक्रम की गाथाएं बेटियों को असंभव को संभव कर दिखाने का साहस देंगी।
राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी रानी को याद करते हुए ट्वीट किया कि अदम्य साहस, शौर्य व पराक्रम की प्रतीक, महान वीरांगना, रानी दुर्गावती जी की जयंती पर उन्हें मेरा कोटि कोटि नमन। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी रानी दुर्गावती जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका शौर्य हमें सदैव प्रेरणा देता रहे।
उल्लेखनी है कि रानी दुर्गावती का जन्म 05 अक्टूबर,1524 को कालिंजर दुर्ग (वर्तमान में जिला बांदा) में महाराजा कीर्ति सिंह चंदेल के यहां हुआ था। दुर्गाष्टमी के दिन जन्म होने के कारण उनका नाम दुर्गावती पड़ा। बाल्यावस्था से ही बुद्धिमान और साहसी दुर्गावतीभाला, तलवार, धनुष-बाण चलाने व तैराकी में प्रवीण थीं। 1540 में दुर्गावती का विवाह गोंडवाना राज्य(गढ़ा मण्डला) के महाराजा संग्राम सिंह के पुत्र दलपत शाह से हुआ था।
घूंघट प्रथा का विरोध
मुगलों से प्रभावित रानी के देवर चन्द्र सिंह ने घूंघट रखने के लिये कहा तो उन्होंने स्पष्ट मना करते हुए कहा कि ‘‘गोंड कबसे पर्दा डालने लगे? यह प्रथा किसी के लिये ठीक नहीं है।’’
रानी का बलिदान
40 वर्ष की आयु में 24 जून,1564 को जबलपुर के पास बरेला स्थित नरई नाला के समीप बारहा की पहाड़ी की तलहटी मंडला मार्ग पर आशफ खां से युद्ध करते हुए उन्होंने अपना बलिदान कर दिया था। जबलपुर से कुछ किलोमीटर दूर बरेना गाँव में श्वेत पत्थरों से रानी दुर्गावती की समाधि बनी हुई है।