प्रभुनाथ शुक्ला

भदोही, । लोकतंत्र की सबसे निचली इकाई यानी ‘गाँव पंचायत’ को और अधिक सशक्त एवं लोकतांत्रिक बनाने के लिए योगी सरकार कुछ बदलाव चाहती है। भविष्य में होने वाले पंचायत चुनाव में योग्यता के साथ दो बच्चों का नियम भी लाना चाहती है। लोकतंत्र की सबसे निचली इकाई के लिए सरकार का यह प्रस्ताव कितना उचित है। जब हम इस मुद्दे को लेकर आम आदमी के बीच गए तो लोगों ने खुल कर स्वीकार्य किया कि सरकार का यह प्रस्ताव लोकतांत्रिक है।

आम आदमी सरकार के फैसले के साथ खड़ा दिखता है। हालांकि कुछ लोग इसे गलत भी बताते हैं। पंचायती चुनाव प्रक्रिया में सरकार ने वर्तमान में बदलाव करने का मन बनाया है। लोगों ने कहा कि यह अत्यंत जरूरी व आवश्यक कदम साबित होगा। दो बच्चे वाले ही प्रत्याशी बनाएं जाएं। शिक्षित ही प्रत्याशी होंगे तो सराहनीय कदम होगा। इस फैसले से जहाँ पंचायतों में मजबूती आएगी वहीं जनसंख्या बृद्धि पर लगाम लगेगी और शिक्षा का स्तर बढ़ जाएगा। ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए भी जनता द्वारा चुनाव किया जाए। पंचायत सदस्य, ग्रामप्रधान, बीडीसी, प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य , जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए भी यह फ़ार्मूला अनिवार्य किया जाय।

धर्मराज यादव ग्राम बलीपुर का कहना है कि गाँव का विकास ज्यादातर अनपढ़, अशिक्षित जनप्रतिनिधि होने की वजह से बाधित है। अनपढ़ प्रधान अधिकारियों व कर्मचारियों के जेबी बनकर पांच साल गुजार देते है । विकास के लिए आए धन की लूट खसोट होती है। प्रभात यादव तेजसिंहपुर का कहना है कि पंचायत चुनाव में सदस्य से लेकर हर पद के लिए इंटरमीडिएट डिग्री अनिवार्य करना जरूरी है। क्योंकि पूरे पांच साल ग्राम पंचायतों में अनपढ़ लोग न तो सरकार की योजना को जान पाते हैं और न विकास होता है।

राधा सिंह का कहना है इंटरमीडिएट योग्यता पंचायत के हर पद के लिए अनिवार्य की जाय। असली पंचायती राज का सपना तभी पूरा होगा जब पंचायत प्रतिनिधि शिक्षित होगा और ख़ुद बढ़ती आबादी का मतलब समझेगा।

सुरेंद्र मौर्य सनाथपुर का कहना है कि पढ़ा लिखा व्यक्ति जब प्रतिनिधि बनेगा तो उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ जाएगा। इसके अलावा शहरी निकाय की तरह पंचायत चुनाव में ब्लाक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव जनता द्वारा कराया जाए तो धन बल से पद हथियाने वालों पर लगाम लगेगी। खरीद फरोख्त का व्यापर बन्द हो जाएगा।

राधेश्याम यादव ने कहा गाँधी जी ने कहा था कि देश की आत्मा गाँवों में बसती है। जब पढ़ा- लिखा प्रतिनिधि होगा तो वह विकास के साथ बढ़ती आबादी का मतलब समझेगा। शिव कुमार पाल ने कहा कि पंचायत चुनाव के ज़रिए ही सभी पदों के चुनाव सीधे जनता के द्वारा होने चाहिए।