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राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बाजपुर उधम सिंह नगर, उत्तराखंड के हिन्दी विभाग द्वारा आयोजित ई-संगोष्ठी में उक्त विचार रामनगर स्नातकोत्तर महाविद्यालय रामनगर बाराबंकी (उ.प्र.) के कृतकार्य प्राध्यापक डॉ. ब्रजकिशोर पाण्डेय ने अपने बीजवक्तव्य में व्यक्त किए। उन्होंने वेद, उपनिषद, ज्योतिष, आयुर्वेद , साहित्य आदि में पर्यावरण की महत्त्वपूर्ण परम्परा का तथ्यात्मक विवेचन किया। ई-संगोष्ठी का आयोजन गूगल मीट पर किया गया जिसमें विय प्रवर्तन एवं रिसोर्स पर्सन का स्वागत कार्यक्रम संयोजक हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. सत्य प्रकाश शर्मा ने किया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विवविद्यालय वर्धा महाराष्ट्र के हिन्दी प्रोफेसर डॉ. अखिलेश दुबे ने पर्यावरण चेतना का विवेचन वेदों से प्रारम्भ कर आधुनिक साहित्य तक किया। उन्होंने कहा कि कविता पर्यावरण को बचाये रखने के लिए कान्तासम्मित उपदेश देती है। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रुद्रपुर उत्तराखंड के राजनीति विज्ञान के प्रो. डॉ. दिनेश शर्मा ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में पर्यावरण की चिन्ता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को सर्वाधिक क्षति पश्चिमी देश पहुँचा रहे हैं इसलिए पर्यावरण संरक्षण का सर्वाधिक दायित्व भी उन्हीं का है। राजकीय महाविद्यालय लक्सर हरिद्वार के एसोसिएट प्रो. डॉ. राम कृपाल वर्मा ने कहा कि सरकार एवं जनता सामूहिक प्रयास से ही पर्यावरण को सुरक्षित संरक्षित किया जा सकता है। एस. एस. कॉलेज शाहजहाँपुर के वनस्पतिविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. आदर्श पाण्डेय पी. पी. टी. के माध्यम से प्रकृति के पंचमहाभूतों क्षिति, जल, पावक, गगन और समीर का वैज्ञानिक विवेचन प्रस्तुत किया। संगोष्ठी में देश के लगभग सभी प्रदेश के तीन सौ से अधिक पर्यावरण प्रेमियों ने प्रतिभाग किया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. कमला चन्याल ने अध्यक्षीय वक्तव्य में विशेषतः संस्कृत साहित्य से उद्धरण देते हुए पर्यावरण के महत्त्व और उसके संरक्षण की आक्थकता पर जोर दिया।

उन्होंने सभी रिसोर्स पर्सन, प्रतिभागियों और आयोजक मंडल का धन्यवाद ज्ञापन किया संगोष्ठी का सफल संचालन आयोजक सचिव राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ब्रजेश कुमार जोशी ने सरस्वती वन्दना के साथ किया। संगोष्ठी के आयोजन में डॉ. अतुल उप्रेती की सराहनीय भूमिका रही।