लखनऊ : हिंदी साहित्य में चित्रित प्राकृतिक आपदा : कारण और निवारण दिनांक 31 अगस्त 2020 को बीएसएनवी पीजी कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा ” हिंदी साहित्य में चित्रित प्राकृतिक आपदा कारण एवं निवारण ” विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इस संगोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ प्रणव कुमार मिश्र ने कहा – एक ओर जहां प्रकृति मानव जीवन के लिए जीवनदायिनी है वहीं दूसरी ओर उसकी गतिविधियों में कमी आ जाने से वह मानव के लिए कष्टकारी भी हो जाती है ।अतिथि वक्ता के रूप में प्रोफेसर अखिलेश दुबे ने कहा कि वैदिक साहित्य से लेकर अद्यतन तक का साहित्य प्रकृति को प्रतिबिंबित करता है व वैदिक ऋषि भी प्राकृति के उत्पादनो का स्तुति गान करते रहे हैं । हमें आपदा के कारणों पर विस्तार से मंथन करना होगा।
प्रोफेसर वाईपी सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि इन प्राकृतिक आपदाओं के तमाम कारण हैं प्राकृति की अनेक लीलाएं हैं पर मनुष्य के भी अत्याचार हैं, बौद्धिक कुटिलताए हैं,उन पर नियंत्रण रखना आवश्यक होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र ने कहा कि -प्रकृति और मनुष्य का रिश्ता भारतीय चिंतन में किस प्रकार का रहा है वास्तव मे यह रिश्ता एक नैसर्गिक रिश्ता है , हम प्रकृति पर अधिकार कर बैठे हैं उसका दोहन कर रहे हैं जिसका परिणाम आपदाओं के रूप में सामने आ रहा है। कार्यक्रम में अनेक गणमान्य शिक्षा व अधिकारी गण उपलब्ध रहे। अनेक महाविद्यालयों के शिक्षकों व विद्यार्थियों ने इस बेबिनार में भाग लिया। कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों का आभार एवं संचालन डॉक्टर अंजलि अस्थाना ने अत्यधिक कुशलता पूर्वक किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य श्री राकेश चन्द्र सहित, डॉ सजनी मिश्रा, डॉ राजीव दीक्षित, डॉ गुंजन पांडेय,डॉ सविता सक्सेना, डॉ मञ्जुल त्रिवेदी, डॉ बैरिस्टर गुप्त आदि ने ऑनलाईन सहभागिता की।