केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री डॉ. महेन्द्र नाथ पांडे ने कौशल विकास पर वेबिनार को संबोधित किया। केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि भारत के कार्यबल की स्किलिंग, अप-स्किलिंग और री-स्किलिंग सरकार के आत्मनिर्भर भारत के विज़न और हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वार घोषित गरीब कल्याण रोजगार अभियान की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
सरकार को जल्द ही प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के अगले चरण के लिए मंजूरी मिलने वाली है, जिससे मांग के अनुसार कौशल विकास, डिजिटल प्रौद्योगिकी और उद्योग 4.0 से संबंधित कौशल विकास पर ध्यान बढ़ाना होगा। महत्वपूर्ण कौशल प्रशिक्षण योजना (पीएमकेवाईवी 2016-2020) का मौजूदा हिस्सा अब समाप्त होने वाला है और इसके तहत अब तक देश के करीब 73 लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है।
डॉ. महेन्द्र नाथ पांडे ने कहा कि हमें वर्तमान परिदृश्य में रोजगार पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है और इसीलिए हम पीएमकेवीवाई के अगले चरण में मांग-आधारित कौशल प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करेंगे जिसमें जिला कौशल समितियों को मजबूत करने और स्थानीय रोजगार कार्यालयों के साथ जुड़ने जैसे कुछ पहलुओं को जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि जिला आयुक्त और राज्य कौशल विकास मिशन (एसएसडीएम) की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी और यह उद्योग निकायों से जुड़ा होगा ताकि हम मांग आपूर्ति की कमियों को दूर कर सकें और प्रवासी श्रमिकों को जरूरी प्रशिक्षण प्रदान कर सकेंजो अपने गृह राज्य लौट आए हैं। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो सरकार सामाजिक और शारीरिक दूरी के दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए पीएमकेवीवाई केंद्रों और आईटीआई (सभी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों) को 2-3 शिफ्टों में चलाने की अनुमति देगी।
डॉ. पांडे ने उद्योग से बड़े शहरों से लेकर छोटे जिलों और गांवों तक अपने परिचालन का विस्तार करने और ग्रामीण भारत के युवाओं को अप-स्किलिंग और रि-स्किलिंग में निवेश करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे माननीय प्रधान मंत्री द्वारा शुरू की गई आत्म-निर्भर भारत अभियान की सफलता की दिशा में एक बड़ी छलांग लगाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि हम निजी क्षेत्र के लोगों को आगे आने एवं प्रशिक्षण देने के लिए आमंत्रित करते हैं और साथ ही स्थानीय उत्पादों और सेवाओं के लिए मुखर होने (वोकल फॉर लोकल) पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए युवाओं को सशक्त भी करना होगा।
डॉ. पांडे ने उद्योंगों से अपील करते हुए कहा कि उन्हें प्रवासी श्रमिकों के प्रति अधिक दयालु होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उद्योगों को चाहिए कि वे श्रमिकों की काउंसलिंग करें, उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार करें और जो लोग काम पर वापस जाने का इरादा रखते हैं उन्हें पर्याप्त सुविधा भी प्रदान करें।
डॉ. पांडे ने कहा कि हमारा पड़ोसी देश अपने धब्बे को मिटाने की कोशिश कर रहा है और विस्तारवादी नीति पर काम कर रहा है, लेकिन उसे अब यह भी समझ में आ रहा है कि आज के दौर उसका एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी है और उसे इस बात को और अधिक स्पष्ट रूप से जानना होगा कि हमारा पूरा देश एकजुट है।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के बारे में बात करते हुए डॉ. महेंद्र नाथ पांडे ने कहा कि सरकार कौशल प्रबंधन सूचना प्रणाली पर भी काम कर रही है,जो संपूर्ण कौशल पारिस्थितिकी तंत्र को एक वेब पोर्टल पर लाएगा और कुशल कार्यबल की मांग और आपूर्ति के लिए एक एग्रीगेटर के रूप में काम करेगा।
उन्होंने आगे बताया कि हमारी योजना अप्रेंटिसशिप को और सरल बनाने की है जो कौशल प्रशिक्षण का ऑन-द-जॉब मॉडल हैं, ताकि उद्योग प्रशिक्षुओं को नौकरी पर रखने में तनिक भी संकोच न करें। उन्होंने कहा कि सरकार इस पर उद्योग से सुझाव आमंत्रित करेगी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पहले जो भी चर्चाएं हुई हैं, हम उसी प्रस्ताव के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
मंत्री ने यह भी कहा कि उनका मंत्रालय देश भर में कुशल व्यक्तियों के डेटा को संकलित करने पर अन्य केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है और इस संबंध में जानकारी एक क्लिक पर उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में कुशल युवाओं का डेटाबेस उन लोगों का भी पंजीकृत डेटा होगा जो रिवर्स माइग्रेशन के एक भाग के रूप में विदेशों से आए हैं। एमएसडीई का कार्यान्वयन शाखा एनएसडीसी ‘स्वदेस’ नामक एक प्रभावी आवेदन के साथ आगे आया है, इसमें विदेश मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय दोनों इस जानकारी को इकट्ठा करने में आपस में सहयोग कर रहे हैं और कार्यबल को उनके कौशल के आधार पर वर्गीकृत किया जा रहा है ताकि बाद में उन्हें देश के भीतर रोजगार के अवसरों के साथ जोड़ा जा सके और इस तरह उनके व्यक्तिगत और राष्ट्र के समग्र विकास में उनका योगदान सुनिश्चित किया जा सके।
डॉ. पांडे ने कहा कि लगभग 20,800 लोग पहले से ही स्वदेश ऐप के माध्यम से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में हम बड़े पैमाने पर उनके कौशल का उपयोग करने की योजना बनाएंगे और अपने कौशल का उपयोग करने में उद्योग निकायों की मदद भी लेंगे।
डॉ. पांडे ने कहा कि कौशल विकास के मामले में उद्योग की भूमिका और जिम्मेदारी वर्तमान परिदृश्य के दौरान बढ़ी है, क्योंकि सरकार विचारों को साझा कर रही है और निजी क्षेत्र के साथ मिलकर काम कर रही है और यह समय नागरिकों के लिए एकीकृत समाधान ढूंढने का आह्वान करता है, ताकि सभी के लिए अधिक सुरक्षित और बेहतर आजीविका सुनिश्चित किया जा सके।
मंत्री ने कहा कि कोविड -19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर हमें विशेष रूप से औद्योगिक क्षेत्र में नए तरीकों के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। अभी समग्र मानसिकता के संदर्भ में एक बड़े बदलाव की आवश्यकता है और व्यापार करने की दिशा में हमें डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग के महत्व को लेकर और अधिक जानकारी देने की आवश्यकता है।
अपने स्वागत संबोधन में एसोचौम के अध्यक्ष डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि उद्योग स्वेच्छा से इस लड़ाई को संयुक्त रूप से लड़ने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करेंगे और माननीय प्रधान मंत्री के नए आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में सहयोग करेंगे।
कौशल विकास पर एसोचैम राष्ट्रीय परिषद के सह-अध्यक्ष श्री मनिंदर नय्यर ने कहा कि कोविड -19 के बाद नए सेक्टर और काम के नए मौकों के उभरने की संभावना है जिसके लिए नए कौशल की आवश्यकता होगी। यह सरकार और उद्योग दोनों के लिए आवश्यक है कि वे भविष्य की संभावनाओं का अंदाजा लगाएं और आज ही से उनके लिए तैयारी करें।