उत्तर प्रदेश में पिछले कई दिनों से हो रही बस की राजनीति पर अब बीएसपी सुप्रीमों मायावती भी कूद गई हैं। एक के बाद एक तीन ट्वीट करके उन्होंने कांग्रेस पार्टी से सवाल करते हुए कहा कि “यदि कांग्रेस पार्टी के पास वास्तव में 1,000 बसें हैं तो उन्हें लखनऊ भेजने में कतई भी देरी नहीं करनी चाहिये, क्योंकि यहाँ भी श्रमिक प्रवासी लोग भारी संख्या में अपने घरों में जाने का काफी बेसबरी से इन्तज़ार कर रहें हैं।”
3. बी.एस.पी. का यह भी कहना है कि यदि कांग्रेस पार्टी के पास वास्तव में 1,000 बसें हैं तो उन्हें लखनऊ भेजने में कतई भी देरी नहीं करनी चाहिये, क्योंकि यहाँ भी श्रमिक प्रवासी लोग भारी संख्या में अपने घरों में जाने का काफी बेसबरी से इन्तज़ार कर रहें हैं। 3/3
— Mayawati (@Mayawati) May 19, 2020
इसके साथ ही बीएसपी प्रमुख मायावती ने केन्द्र से भी अपील करते हुए कहा “वह राज्यों की आर्थिक स्थिति को खास ध्यान में रखकर तथा मानवता व इन्सानियत के नाते भी खुद अपने खर्च से श्रमिक प्रवासियों को बसों व ट्रेनों आदि से सुरक्षित भिजवाने के लिए जरूर सकारात्मक कदम उठाए। इसके साथ ही, राज्यों की सरकारों से भी यह कहना है कि वे अपने-अपने राज्यों में श्रमिक प्रवासियों की खाने व ठहरने तथा उन्हें सरल प्रक्रिया के ज़रिये बसों व ट्रेनों आदि से भेजने की उचित व्यवस्था जरूर करें।”
बसपा प्रमुख का बयान ऐसे समय आया है जब उत्तर प्रदेश में प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के नाम बसों की राजनीति हो रही है।
क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश में देश भर से लगातार प्रवासी मजदूर आ रहें हैं। बीते शनिवार को प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश सरकार से 1000 बसों को उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश को लेकर अनुमति मांगी थी। सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी बसों की विस्तृत जानकारी मांगा था। सोमवार की ही शाम को प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने पत्र लिखकर 1000 बसों की सूची उपलब्ध करवा दिया था। जिसके बाद उत्तर प्रदेश के मुख्य अपर सचिव अवनीश अवस्थी ने प्रियंका गांधी के निजी सचिव को एक पत्र लिखा और कहा कि मंगलवार तक सभी बस चालकों का ड्राइविंग लाइसेंस के साथ-साथ सभी बसें लखनऊ भेज दी जाए। तभी से लेकर उतर प्रदेश में राजनीतिक पारा गरम है।