अगर मेहनत, दृढ़-इच्छाशक्ति हो तो हम सीमित संसाधनों में भी अपेक्षाकृत सफलता प्राप्त कर सकते हैं, आज ही के दिन इसे वास्तविक धरातल पर चरितार्थ किया था पोखरण परमाणु परीक्षण,1998 के द्वारा हमारे देश के वैज्ञानिकों ने, जिन्होंने अपने कार्यों से एक शक्तिशाली भारत की कल्पना को साकार किया था।
इसी कारण से 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस (National Technology Day) के रूप में मनाया जाता है। पोखरण परमाणु परीक्षण भारतीय सेना के पोखरण परीक्षण रेंज में भारत द्वारा किए गए जो पांच परमाणु बम विस्फोटों की एक सीरीज थी। भारत ने राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज में ऑपरेशन शक्ति मिसाइल को सफलतापूर्वक फायर किया था। जो पोखरण में पांच परमाणु परीक्षणों में से पहला था। परीक्षण का नेतृत्व एयरोस्पेस इंजीनियर और दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था पर अन्य वैज्ञानिकों ने भी उन्हें पूरा सहयोग किया था। उस समय देश के प्रधानमंत्री थे अटल बिहारी वाजपेयी जिनके अटल इरादों के कारण ही यह असंभव कार्य संभव हो सका था, उन्होंने चीन औऱ अमेरिका की धमकियों को दरकिनार करते हुए अपने कदम को पीछे नहीं हटाया। वह मानते थे कि विश्व की तत्कालीन परिस्थिति को देखते हुए बिना शक्तिशाली भारत बने समृद्ध भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है।
इस परीक्षण की तैयारी तो पहले से शुरू हो गयी थी, पर सबसे कठिन काम था कि इसकी कानोंकान खबर दुनिया को न लगे। उस समय भी अमेरिका अपनी सैटेलाइट से भारत पर पूरी नजर रखता था, बिना उसकी नजर में आये हर काम करना बहुत ज़्यादा कठिन था। कई सारी मुश्किलें भी आयी पर हमारे वैज्ञानिकों ने बिना हार माने उन मुश्किलों का सामना किया। वैज्ञानिकों ने बेहद कम निश्चित समय में काम किया, वो हमेशा सेना की वर्दी में रहते थे और सारी बातें कोडवर्ड में होती थी जिससे किसी को भी शक ना हो।
आख़िरकार इतनी कड़ी मेहनत का नतीजा 11 मई, 1998 को निकला औऱ भारत ने सफ़लतापूर्वक परीक्षण करके इतिहास रच दिया। भारत के इस कारनामे से पूरी दुनिया अचंभित रह गई। अमेरिका जैसे कई देशों ने हमपर कड़े प्रतिबंध भी लगाए पर हम झुकने के लिए तैयार नहीं थे।
वैसे पूरी दुनिया जानती है कि भारत देश एक शांतिप्रिय देश है जिसने क़भी किसी देश पर पहले आक्रमण नहीं किया है। एक परमाणु शक्ति से परिपूर्ण राष्ट्र होने के बावजूद हमारी स्पष्ट नीति है कि हमारा परमाणु बम शांति औऱ आत्म-रक्षा के लिए है इसका प्रयोग भारत पहले क़भी नहीं करेगा।
हर हिंदुस्तानी को पोखरण की इस कहानी को जरूर जानना चाहिए। 2018 की अभिषेक शर्मा द्वारा निर्देशित फ़िल्म परमाणु: ए स्टोरी ऑफ़ पोखरण में इस पूरी कहानी को दिखाया गया है जिसमें जॉन अब्राहम ने प्रमुख भूमिका निभाई है।
देश का प्रत्येक नागरिक आज 11 मई,1998 की गौरव-गाथा को याद करके गौरवान्वित महसूस कर रहा है। वर्तमान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट के माध्यम से आज के दिन की महत्ता को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा-राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर, हमारा राष्ट्र उन सभी को सलाम करता है जो दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं। हमें 1998 में इस दिन हमारे वैज्ञानिकों की असाधारण उपलब्धि याद है। यह भारत के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था।