प्रतीकात्मक तस्वीर ( Indian Express)

गौरव

कोरोना ने भारत को दो अद्भुत चीजें दीं। एक लॉकडाउन दूसरा जूम एप। एक ने सारी हवाबाजी बंद कर दी। दूसरे ने सारी भाषणबाजी हवा में मने ऑन एयर कर दी। चूँकी हर राजनीतिक दल आमतौर पर हवाबाजी ही करते हैं मगर जूम ने उस परिकल्पना को मूर्त रूप दिया है।

एक जिम्मेदार राष्ट्रीय संगठन की बहुत जरूरी दिखने वाली बैठक चल रही थी। जितना मैं सुन पाया चीन को औकात दिखा देने की बात हो रही थी। क्षेत्रीय स्तर ,जिला स्तर और प्रदेश स्तर के सूरमा लोगों का अभासी जुटान हुआ। सेना से ज्यादा यहाँ रैंक का महत्व था। पहले प्रदेश वाले बोले आधा घंटा ,एक फर्रा लिख के रखे थे, चीन को देख लेने की बात उसी में थी। फिर जिला वाले बोले , अब नीचे वालों का नंबर आया।

सवाल पूछने के लिए आज-तक की डीबेट की तरह आपको हाथ उठाकर उंगली करते हुए इशारा करना था ,जैसे क्रिकेट में आउट का इशारा अंपायर करता है। उसके बाद उनका माइक अनम्यूट कर दिया जाता है…वैसे आजतक में ज्यादा बोलने वालों का करते हैं मगर बाद में , यहाँ एहतियातन सबका म्यूट था।
एक भाईसाहब बनियान पहनकर गमछा से देह ढककर बैठे थे उन्होंने उंगली की।

उनको देखकर लगा नहीं था कि वो भी बोलने लायक हैं इस गंभीर परिचर्चा में, पर वो बोले …
“भाई साहब आप सब को मेंरा प्रणाम , मैं आप लोगों को ज्यादा जानता नहीं पर नगर अध्यक्ष गुप्ता जी हमारे बिरादर हैं, ने कहा तो ज्वाइन कर लिया। लखनऊ वाले सर से मैं एक बात कहना चाहता हूँ, कि चीन को तो बाद में देख लेंगे पहले अपने महामंत्री को ,प्रभारी जी को देखिए। दलाली के चक्कर में हमारे घर की ओर से नगरपालिका की नाली खुदवा दी, जबकि नक्शे में दूसरी तरफ थी। दोनों लोग दो-दो लाख रूपिया लिए हैं। महामंत्री जी मिलें तो जरा समझा दीजिए की जब नक्शा गुप्ता के घर के नीचे नहीं गया है तो नाली कैसे पैदा हो गयी रातोंरात।”

इतना एक सर्रे बोल गये गुप्ता जी। तकनीकी रूप से कम जानकर गुप्ता नहीं जानते थे कि इस बैठक में महामंत्री जी ही होस्ट थे। सब सकते में आ गये इस अपोलिटिकल सवाल से, महामंत्री जी बंगले झाँकने लगे और अपना विडिओ बंद कर दिया। गुप्ता को तड़ातड़ फोन आने लगे कि इ का बोल दिये गुरू ,ये सब नहीं बोलना था। गुप्ता का बस एक कहना था कि जो चीन सम्हाल सकता है वो हमारी नाली तो देख ही सकता है , और अगर नाली नहीं देख सकता तो चीन क्या सम्हलेगा।
गुप्ता मूलतः लंठ व्यक्ति थे। बैठक बीच में रद्द हो गयी। अब सब महामंत्री को खोज रहे थे… गुप्ता के पड़ोसी नगर अध्यक्ष गुप्ता जी ने अपना फोन बंद कर दिया था। बैठक रद्द हुई सो हुई गुप्ता ने 60-70 युवा नेताओं का समय बचा लिया जो दबाव में उस बैठक का हिस्सा थे।

(यह लेखक के निजी विचार हैं।)