शांभवी शुक्ला
शनिवार की शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र की महासभा को संबोधित किया। यह यूएन की महासभा का 75 वा सत्र था। जिसे महामारी के कारण वर्चुअल माध्यम से आयोजित किया गया। इस सत्र में प्रधानमंत्री ने संबोधित करते हुए कुछ जरूरी सवाल खड़े किए। जिसमें कोरोना महामारी, आतंकवाद और सबसे जरूरी भारत की स्थाई सदस्यता शामिल रही।
उनका कहना था कि 8-9 महीने से पूरा विश्व महामारी से लड़ रहा है। इसमें संयुक्त राष्ट्र कहां है? इसका एक प्रभावशाली रिस्पांस कहां है? इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए हम सभी को आत्ममंथन की जरूरत है।इसके साथ ही कहा कि भारत सभ्यता और संस्कृति में भरोसा करता है। पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में देखता और मानता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद और युद्ध को लेकर विश्व के सामने सवाल रखा। उन्होंने कहा कि तीसरा युद्ध संभव नहीं है लेकिन बढ़ते आतंकी हमलों में मारे जाने वाले लोगों को लेकर संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया क्या रही है? इसमें संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त रहे हैं?
भारत की स्थाई सदस्यता को लेकर पीएम ने सवाल पूछे।उन्होंने कहा भारत के लोग यूएन के रिफॉर्म को लेकर जो प्रोसेस चल रहा है, उसके पूरा होने का इंतजार लंबे समय से कर रहे हैं। वह चिंतित हैं कि क्या यह प्रक्रिया लॉजिकल एंड तक पहुंच पाएगी? कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के डिसीजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जाएगा?इसके अलावा उन्होंने बदलाव के लिए भी अपील की। उनका कहना था कि संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव के साथ-साथ व्यवस्थाओं और स्वरूप में भी बदलाव की आज मांग है।