शाम्भवी शुक्ला
आरबीआई ने कोरोना महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए नए प्रयास किए हैं। गिरती आर्थिक स्थिति को देखकर कंपनियों और पर्सनल लोन के रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा में छूट दी गई है।एक बार रिस्ट्रक्चर के बाद ऐसे लोन को स्टैंडर्ड माना जाएगा। 2008 के वित्तीय संकट के बाद पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को यह घोषणा की है।
इस बीच आरबीआई ने मॉनिटरी पॉलिसी में नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 4 फ़ीसदी पर, रिवर्स रेपो रेट 3.35 और एमसीएफ रेट 4.25 पर बनी रहेगी। इसके अलावा आरबीआई ने मोरटोरियम की अवधि बढ़ा दी है।
एयरलाइन कंपनियां होटल और स्टील सीमेंट कंपनियां भी अपना लोन रिस्ट्रक्चर करा सकेंगे। यह पिछले 100 सालों में आई सबसे बड़ी क्राइसिस में लोगों की मदद की कोशिश के लिए है। साधारण तौर पर समझे तो उधारकर्ता ने अगर पेमेंट स्ट्रक्चर का पालन किया है तो वह डिफॉल्टर के रूप में उधार करता को क्रेडिट ब्यूरो को रिपोर्ट नहीं किया जाएगा।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांत दास ने बताया कि महामारी काल में बहुत सी नौकरियां जा रही हैं। ऐसे समय में भुगतान में अच्छा रिकॉर्ड रखने वाली कंपनियां यथावत बनी रहे इसके लिए यह प्रयास किया गया है। लोन रिस्ट्रक्चर की सुविधा एजुकेशनल लोन, होम लोन पर भी लागू की जाएगी।