वाराणसी, 23 मई । केंद्रीय विश्वविद्यालय गांधीनगर के कुलपति प्रो. आरएस दूबे ने कहा कि कोरोना महामारी से पूरा विश्व त्रस्त है, जिसकी फिलहाल कोई वैक्सीन नहीं है। सरकार भरपूर प्रयास कर रही है, लेकिन जनता को भी अपना दायित्व निभाना चाहिए। इस संकट में मीडिया की भूमिका भी सकारात्मक रही।

वह शनिवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी में ‘कोविड-19 का संक्रमण: सरकार एवं मीडिया’ विषयक दो दिवसीय वेबिनार को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अति आवश्यक है।

गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो तंकेश्वर कुमार ने कहा कि इस महामारी से लड़ने के लिए लॉकडाउन बहुत जरूरी हो गया था।

डीडी न्यूज, नई दिल्ली के एंकर अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि केंद्र सरकार के कार्यों की आलोचना हो रही है और आगे भी होती रहेगी। फिर भी सरकार कोरोना को फैलने से रोकने का उचित प्रयास कर रही। कुछ राज्य सरकारें इस मामले में चूक गई हैं। मीडिया भी अच्छा काम करते हुए कहीं-कहीं असफल रही है। फेक न्यूज भी फैलाया गया।

जननायक चन्द्रशेखर सिंह विश्वविद्यालय, बलिया के पूर्व कुलपति एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो योगेंद्र सिंह ने कहा कि राष्ट्र बोध और मानवता को ध्यान में रखकर सभी अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभाएं।

सेवा भारती, काशी प्रान्त अध्यक्ष राहुल सिंह ने कहा कि जनता भी सरकार का सहयोग कर रही है। वहीं मीडिया पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाए।

संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो टीएन सिंह ने कहा कि आज के दौर में मीडिया दो भागों में बट गई है। मीडिया के किस साधनों पर भरोसा किया जाए, इस पर बुद्धिजीवियों को विचार करना चाहिए। मीडिया का काम केवल प्रश्न पूछना नहीं समाधान भी बताना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया तो अनियंत्रित हो गई है। इस पर नियंत्रण होना चाहिए। सामाजिक सरोकार उसका उद्देश्य होना चाहिए।

साइबर विशेषज्ञ प्रो.सुभाष चन्द्र यादव विभागाध्यक्ष, कंप्यूटर विभाग झारखंड सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने कहा कि कोरोना के दौर में ऑनलाइन वर्क ज्यादा होने लगे हैं। इसमें साइबर क्राइम तेजी से बढ़ा है। लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत हैं। अपनी व्यक्तिगत बातों को सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए। खासकर पासवर्ड के मामले में ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। इसे बार बार बदलने की जरूरत है।

संगोष्ठी में मुख्य रूप से प्रो.आरपी सिंह, डॉ.नागेंद्र पाठक, डॉ.मनोहर, डॉ. प्रभा शंकर मिश्रा, डॉ प्रदीप कुमार, डॉ के के सिंह, डॉ.सतीश कुमार मौर्य, डॉ वंदना जयसवाल, डॉ.स्वर्णिम घोष डॉ. अभिषेक भारद्वाज, डॉ. अजय कुमार वर्मा, डॉ. शिवजी सिंह, श्री विनय कुमार सिंह आदि लोगों ने भाग लिया।