आशीष मिश्रा
ग्रहण देखने की दिलचस्पी हर किसी को होती है। ग्रहण का खगोल शास्त्र और ज्योतिष विद्या में काफी महत्व होता है। खासतौर पर सूर्य ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण घटना माना जाता है। 21 जून को साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। यह सूर्य ग्रहण साल 2020 का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण होगा। यह सूर्य ग्रहण सूर्य देव का दिन यानी रविवार के दिन होगा।
वस्तुतः सूर्य ग्रहण तीन प्रकार का होता है। पूर्ण सूर्यग्रहण, आंशिक सूर ग्रहण और वलयाकार सूर्य ग्रहण। यह सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जिसे चूड़ामणि सूर्य ग्रहण भी कहा जाता है। इसमें सूर्य को चंद्रमा पूरी तरह से नहीं ढक सकेगा। सूर्य के बीच का भाग चंद्रमा ढक लेगा जबकि बाहरी गोलाई दिखाई देगा इसलिए सूर्य ग्रहण पर यह कंगन की भांति चमकेगा । सभी जगहों पर यह सूर्य ग्रहण एक जैसा नहीं दिखाई देगा। कुछ जगहों पर यह ग्रहण खंडग्रास यानी आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप मे दिखाई देगा तो कुछ जगहों पर यह कंगन की भांति सूर्य चमकता हुआ दिखाई देगा इसलिए इसे चूड़ामणि सूर्य ग्रहण कहा जाता है । यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा।
साल का पहला सूर्य ग्रहण कल रविवार (21 जून 2020) को काशी के मानक अनुसार सुबह 10:31 बजे ( दिन ) से शुरू होगा और दोपहर बाद 02:04 बजे तक रहेगा। इस ग्रहण का मध्य 12:18 ( मध्यान्ह ) के आसपास रहेगा में जिसमें सूर्य एक वलय/फायर रिंग/चूड़ामणि के रूप में नजर आएगा।
भारत के अतिरिक्त यह खंडग्रास सूर्यग्रहण विदेश के कुछ क्षेत्रों में भी दिखाई देगा।
सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लग जाता है। अतः इस सूर्यग्रहण का सूतक आज 20 जून को रात में 10.31 से आरम्भ हो जाएगा जो कि सूर्यग्रहण ग्रहण के समाप्त होने तक रहेगा।
मान्यता है कि इस दौरान मंदिरों में पूजा पाठ या कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता। सूतककाल समाप्त होने के बाद ही मंदिर खुलते हैं और लोग पूजा अनुष्ठान शुरू करते हैं।
इस दौरान पूजा घर और मंदिरों के पट बंद रहते हैं। लोग ग्रहण सूतककाल से पहले ही अपने देवी देवताओं की पूजा करके उनके पट/गेट बंद कर देते हैं। इसके बाद ग्रहण सूतककाल समाप्त होने पर लोग फिर मंदिर और पूजा घरों को खोलते हैं, मूर्तियों में गंगाजल छिड़ककर उन्हें पवित्र करते हैँ और विधिवित पूजा पाठ पहले की तरह शुरू करते हैं।
ज्योतिष में ग्रहण काल को बहुत ही अशुभ माना गया है। ऐसे में सूतक के समय पूजा-पाठ नहीं किया जाता। इस दिन घर पर बने मंदिर और तीर्थ स्थल के मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं। ग्रहण के समय मंत्रों का जाप करना चाहिए। सूतक काल में खाने की चीजों में तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए।
सावधानियां
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में कुछ काटना, बिना मतलब का कुछ भी कल्पना करना, खाना पकाना आदि चीजें नहीं करनी चाहिए। सूर्य ग्रहण को आंखों पर बिना किसी सुरक्षा के नहीं देखना चाहिए। अपनी आंखों पर ग्रहण के दौरान प्रयोग किये जाने वाले चश्मे का प्रयोग करना चाहिए। इस दौरान तेज किनारों वाली वस्तु जैसे, चाकू, छुरी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस समय पूजा करना और स्नान करना भी शुभ नहीं माना जाता है।
ग्रहण के दौरान क्या करें
ग्रहण काल से पहले स्नान करें और उसके उपरांत भी करें और दान करें। ग्रहण के दौरान गुरु मन्त्र का जाप करें, महामृत्युंजय मन्त्र का जाप करें। आदित्य हृदयस्त्रोत का पाठ करें, सूर्य मन्त्र का जाप करें। घर में रखी हुई खाद्य वस्तुओं में कुश या तिल डाल दें इससे ग्रहण दोष नहीं लगता है। जिनकी कुंडली में सूर्य दोष, मंगल दोष, राहु दोष या चन्द्र दोष है उन लोगों को अपने ईश्वर का ध्यान करना चाहिए। इससे उन्हें लाभ होगा।
समस्त राशि के लोग अपने राशि स्वामी के अनुसार दान करें और अपने अपने इष्ट देव का ध्यान करना चाहिए।