शनिवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विश्वविद्यालय कार्य प्रमुख श्रीहरि बोरिकर जी ने वर्चुल संवाद में “भारत की नीतियों से ध्वस्त होते चीन व पाकिस्तान” विषय पर बोलते हुए कहाँ की, भारत लेह-लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक सभी राज्यों के सीमावर्ती क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के क्रम में लगभग 60000 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण करा चुका है। इसी क्रम में 125 से अधिक पुलों का निर्माण हो सम्पन्न हो गया है व भविष्य में ऐसे ही 200 और पुलों का निर्माण होना सुनिश्चित है इसके अतिरिक्त सीमावर्ती राज्यों मैं 90 भूमिगत सुरंगों का निर्माण होने वाला है। आईसीबीआर योजना के तहत भारत, चीन बॉर्डर पर 3325 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने के लक्ष्य का 75% काम पूरा कर चुका है जिसके कारण यदि कोई दुश्मन सेना घुसपैठ करने की सोचती है या करती है तो भारतीय सेना तत्काल सीमावर्ती इलाकों में पहुंच सकती है। उदाहरण के तौर पर डोकलाम में सीमा विवाद के समय जहां पहले 7 घंटे लगते थे सेना को पहुंचने में वहाँ मात्र 40 मिनट में सेना पहुंच गई थी। इसके अतिरिक्त आर्थिक क्षेत्र में चीन द्वारा भारत को आश्रित बनाने की कोशिश लगातार और असफल होती जा रही है वहीं भारत 7.4% फास्टेस्ट ग्रोइंग इकोनामी के तहत सर्वप्रथम है। केंद्र सरकार द्वारा “मेक इन इंडिया” “स्किल इंडिया” आदि योजनाओं के तहत हजारों लाखों छात्रों को रोजगार देने की योजना राष्ट्र को आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान करेगी। भारत में कच्चे माल के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है जिससे कि युवा वर्ग आत्मनिर्भर बने, एक तरफ जब भारत को आत्मनिर्भर बनाने की नीति केंद्र सरकार द्वारा बनाई जा रही है। वहीं दूसरी तरफ Covid-19 महामारी के समय विश्व समुदाय के 12 राष्ट्रों की लगभग 12 सौ से अधिक प्रोडक्शन कंपनियों ने अपना प्रोडक्शन बंद कर दिया जिसे चीन की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है। करीब 78 हजार किलोमीटर पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा 5000 स्क्वायर किलोमीटर जमीन चीन को दिया गया जिससे चीन अपने सड़कों का निर्माण करा सके, वहीं दूसरी तरफ 30000 स्क्वायर किलोमीटर भारतीय जमीन जो कि चीन के कब्जे में है जिसे हम “अक्साई चीन” के नाम से जानते हैं वहां चीन निर्माण कार्य करा रहा है। चीन अपने विस्तार वादी नीतियो के अंतर्गत ताइवान व हांगकांग जैसे राष्ट्रों पर तानाशाही रवैया अपना रहा है जिसके कारण विश्व पटल पर चीन की सामूहिक आलोचना हो रही है। इस पूरे समीकरण को समझते हुए भारत ने अपनी नीति से चीन और पाकिस्तान का कमर तोड़ने की कोशिश की है जिसे दोनों देशों के शासकों में खलबली मच गई है। चीन सोचता है कि पूरे एशिया खंड में आर्थिक क्षेत्र, व्यापारिक क्षेत्र तथा रक्षा क्षेत्र में भारत ही सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि भारत सभी क्षेत्रों में बहुत ही तेजी से तरक्की कर रहा है। भारत के इस बढ़ते प्रभाव को चीन अपने लिए खतरा मानता है। वहीं दूसरी तरफ भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर 60 किलोमीटर लंबे हाइवे निर्माण से दोनों राष्ट्र घबरा गए हैं। पाकिस्तान भारत के नए नक्शे से परेशान है जो धारा 370 हटाने के बाद दो नए केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद बना है। यही नहीं चीन, भारत द्वारा अपने हिस्सों के कब्जे से परेशान है जिसे चुनौती देने के लिए चीन, पाकिस्तान में लगभग चार लाख करोड़ का इन्वेस्टमेन्ट कर रहा है किन्तु चीन व पाकिस्तान को यह बात समझनी चाहिए की भारत शांति का उपासक है मगर हमारी शांति कमजोरी समझने वाले यह जान ले की भारत अपनी संप्रभुता व सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।