Uttar Pradesh Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव भी सक्रिय हो रहे हैं। शनिवार को मुख्तार अंसारी के बड़े भाई और बेटे को पार्टी में शामिल करने के बाद अखिलेश यादव अचानक बसपा के कद्दावर विधायक सुखदेव राजभर से मिलने पहुंच गए। दोनों नेताओं के बीच हुई इस मुलाकात को भले ही एक औपचारिक भेंट कही जा रही है, लेकिन अखिलेश यादव इसी के बहाने ओमप्रकाश राजभर को भी कड़ा संदेश दे दिया।
क्यों महत्वपूर्ण है यह मुलाकात
अखिलेश यादव और सुखदेव राजभर के बीच हुई यह मुलाकात इसलिए भी अहम है क्योंकि सपा यह बात अच्छी तरह जानती है कि अगर पूर्वांचल में भाजपा को पीछे करना है तो मुस्लिम यादव के साथ-साथ अन्य जातियों को भी साधना होगा। बता दें, पूर्वांचल में राजभर समुदाय की संख्या अच्छी-खासी है। कई सीट पर इस समुदाय के लोग निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
सुखदेव राजभर आजमगढ़ की दीदारगंज विधानसभा सीट से विधायक हैं। पिछले कई चुनाव में उन्होंने एक तरफा जीत दर्ज की थी। 2007 से 2012 के दौरान सुखदेव राजभर विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। ऐसे में उनका सपा की तरफ झुकाव बढ़ना ना सिर्फ बसपा के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकता है बल्कि भाजपा और ओमप्रकाश राजभर को भी अपनी रणनीति पर विचार करने के लिए विवश करेगा।
आज वरिष्ठ नेता श्री सुखदेव राजभर जी का कुशलक्षेम जानने का व्यक्तिगत सुअवसर मिला। उनको स्वस्थ एवं मंगलमय जीवन की शुभकामनाएँ! उनका अनुभव और आशीर्वाद हम सबके लिए बहुत अहम है।#बड़ो_का_हाथ_युवा_का_साथ pic.twitter.com/y6dB7TsLf6
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 29, 2021
पूर्वांचल की राजनीति पर नजर रखने वाले पत्रकारों की मानें तो सुखदेव के बहाने अखिलेश यादव ओम प्रकाश राजभर पर दबाव बनाना चाहते हैं। अगर भविष्य में कभी सपा और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी का गठबंधन हो, तब ओपी राजभर मनमानी सीट का दावा ना पेश कर पाएं।
कुछ दिन पहले सुखदेव राजभर ने लिखा था मायावती को पत्र
दीदारगंज से विधायक सुखदेव राजभर ने सार्वजनिक पत्र लिखा था। इसे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती को भी भेजा था। पत्र में लिखा था कि कांशीराम के साथ दलितों और पिछड़ों के हक की लड़ाई लड़ता रहा। बदली परिस्थितियों में बहुजन मूवमेंट और सामाजिक न्याय कमजोर पड़ गया है। दो वर्ष से स्वास्थ्य खराब होने की वजह से दलितों, पिछड़ों और वंचितों की लड़ाई में योगदान नहीं दे पा रहा हूं….. ऐसे में बेटे कमलाकांत राजभर ने सपा के साथ रहकर वंचितों के हितों की लड़ाई लड़ने का फैसला किया है।