उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के ज्ञानपुर के विधायक विजय मिश्रा को मध्यप्रदेश पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। उन्हें मध्यप्रदेश के मालवा में गिरफ्तार किया गया है। भदोही से एक टीम उन्हें लाने के लिए रवाना हो गई है। एक दिन पहले ही उन्होंने विडियो संदेश अपने एनकाउन्टर की बात जाहिर की थी।
ज्ञानपुर से चौथी बार निषाद पार्टी से चुने गए विधायक
विधायक विजय मिश्र भदोही जिले की ज्ञानपुर विधानसभा से चौथीबार विधायक चुने गए हैं। यह सीट ब्रह्मण बाहुल्य है और ब्राह्मणों में उनकी अच्छी पकड़ है जिसकी वजह से वह लगातार चौथी बार चुनाव जीता है। मायावती सरकार में उनके राजनीति रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जेल में रहते हुए भी सपा के टिकट पर तीसरी बार विधायक चुने गए। ज्ञानपुर विधानसभा उनका सियासी गढ़ माना जाता है। सत्ता किसी कि भी हो लेकिन उन्हें हराना मुश्किल होता है। सरकार किसी कि हो लेकिन वह अपनी सियासी गोट फिट करने में माहिर हैं।
मुलायम सिंह यादव का कभी विजय पर था अटूट विश्वास
विजय मिश्र समाजवादी पार्टी के पीताम्ह कहे जाने वाले मुलायम सिंह केे दाहिने हाथ माने जाते थे। लेकिन पार्टी और सत्ता कि कमान आखिलेश यादव के हाथ में आने के बाद विजय मिश्र और अखिलेश यादव के बीच फांसले बढ़ गए। चाचा शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच सियासी सहमात के खेल में विजय मिश्र को अपना रास्ता बदलना पड़ा। 2017 के विस चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी से ख़ुद को अलग कर लिया। बाद में निषाद पार्टी से चुनाव लड़ा और ज्ञानपुर से चौथी बार विधायक बने। सपा मुखिया मुलायम सिंह को विजय मिश्र द्वारकाधीश की उपाधि से सम्बोधित करते थे। बसपा सरकार में मायावती का जब उन पर शिकंजा कसा तो भदोही के उपचुनाव (2009) में मुलायम सिंह उन्हें ख़ुद अपने साथ हेलिकाप्टर में लेकर उड़ गए। भदोही पुलिस उन्हें गिरफ्तार करना चाहती थी, लेकिन हाथ मलती रह गई। बाद में आत्मसमर्पण किया और बसपा सरकार में मेरठ जेल में रखे गए। इसके बाद समाजवादी पार्टी से तीसरी बार विधायक चुने गए।
काँग्रेस की अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत
पूर्वांचल की राजनीति में विजय मिश्र पर बाहुबली का आरोप लगता रहा है। लेकिन विकास और जनछबि की वजह से वह हर बार चुनाव जीतते हैं। सरकार किसी कि हो उनकी सेहत पर फर्क नहीँ पड़ता है। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुवात काँग्रेस से किया। वह राजीव गाँधी के भी करीबी रहे। पंडित कमलापति त्रिपाठी उन्हें राजनीति में लाया और काँग्रेस से वह ब्लॉक प्रमुख चुने गए। फ़िर जिलापंचायत अध्यक्ष कि कमान सम्भाल। इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने 2001 में उन्हें ज्ञानपुर से टिकट दिया, फ़िर उन्होंने राजनीतिक ऊचाईयों को छुवा। पत्नी रामलली मिश्र को भी जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया। फ़िर यहाँ इन्हीं का कब्जा रहा। अध्यक्ष कोई बने लेकिन कमान विजय मिश्र के हाथ रहीं।
मोदी और योगी लहर में भी लहराया परचम
मोदी और योगी लहर में भी उन्होंने 2017 में ज्ञानपुर से भजपा उम्मीदवार महेंद्र बिंद को ज़मीन दिखाई। इस दौरान अमितशाह भी चुनाव प्रचार करने आए आए थे। आखिलेश यादव ने भी विजय मिश्र पर खूब निशाना साधा लेकिन आखिकर वह चुनाव जीतने में कामयाब रहे। लेकिन अचानक योगी सरकार में उनकी मुश्किल बढ़ती दिखती है। एक माह में अब तक दो मुक़दमें दर्ज हो चुके हैं। कारोबारी गोपीकृष्ण माहेश्वरी को धमकाने वाला एक आडियो वायरल होने पर भदोही एसपी आरबी सिंह के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद धनापुर में जहाँ उनका आवास है। उसकी जबरिया वसीयत कराने का दबाव बनाने के आरोप में उन्हीं के रिश्तेदार कृष्ण मोहन ने विधायक, पत्नी और बेटे विष्णु मिश्र पर मुकदमा दर्ज कराया है। जिसे विधायक फर्जी करार देते हैं।
विकास दुबे एनकाउंटर के बाद बढ़ी मुश्किल
विधायक विजय मिश्र पर दो मुकदमे दर्ज होने के बाद उनकी परेशानी बढ़ गई है। योगी सरकार बनने के बाद अभी तक सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन विकास दुबे एनकाउंटर के बाद हालात बदले हैं। विधायक विजय मिश्र को दो वीडियो सोशलमीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं। जिसमें वह साफ- साफ कह रहे हैं कि उनकी कभी भी हत्या कराई जा सकती है। पूर्वांचल के माफियाओं में हमारा नाम भेजा गया है। यह सब इस लिए हो रहा है कि मैं ब्रह्मण हूँ। जिला पंचायत के चुनाव से मुझे हटाने कि साजिश रची जा रहीं है। वह कहते हैं कि हमने मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात का समय माँगा है। मुख्यमंत्री योगी से अगर मुलाकात का समय मिला तो वह सब कुछ बताएँगे। वह अच्छे मुख्यमंत्री हैं। लेकिन पुलिस और अधिकारियों का रवैया यहीं रहा तो मैं आत्महत्या कर लूँगा। लेकिन वह भदोही को माफियाओं का चारागाह नहीँ बनने देंगे। उसके लिए चाहे जो कुर्बानी देनी पड़े। ब्राह्मण होने के नाते मेरी हत्या की साजिश रची जा रहीं है। मेरी किसी रात हत्या की जा सकती है। मेरे परिवार को साजिश के तहत पुलिस फँसा रहीं है।