इजरायल (Israel और सऊदी अरब (Saudi Arab) ने दोस्ती का हाथ एक दूसरे तरफ की तरफ बढ़ाया है। यह दोस्ती अगर परवान चढ़ती है तो दशकों से चले आ रहे है दक्षिण एशिया में गतिरोध समाप्त हो सकता है। इजरायल और सऊदी अरब आने वाले दिनों में शांति के लिए एक समझौता (Deal) करेंगे। समझौते का मसौदा तैयार कर लिया गया है।
खाड़ी देशों की बात करें तो मिस्र और जार्डन के बाद सउदी अरब तीसरा ऐसा देश है जिसके साथ इजरायल कूटनीतिक रिश्ते स्थापित करने जा रहा है। यह ऐसे समय में ही रहा है जब चीन और ईरान के बीच नए रिश्ते बन रहें हैं।
सऊदी अरब तेल का एक बड़ा विक्रेता वाला देश है। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक सम्बन्ध बनने से ना सिर्फ व्यापार को बढ़ावा मिलेगा बल्कि यूएई के मुसलमान यरुशलम के ओल्ड सिटी में अल-अक्सा मस्जिद जा सकेंगे। यातायात बहाल करने के लिए दोनों देश जल्द ही फ्लाइट सेवा की भी शुरूआत कर सकेंगे।
इजरायल और सऊदी अरब के रिश्ते पर फिलिस्तीन नाराज !
हालांकि सऊदी अरब और इजरायल के बीच बनते कूटनीतिक रिश्ते से फिलिस्तीन काफी नाराज है। फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री ने इसे अपने साथ धोखा बताया है। साथ ही सऊदी अरब स्थिति दूतावास से अपने राजदूत को भी बुला लिया है।
ट्रंप की भूमिका अहम
इजरायल 1948 में आजाद हुआ था लेकिन उसके बाद से ही सऊदी अरब के साथ उसके रिश्तों में काफी तल्खी रही है। लेकिन ट्रंप के हस्ताक्षेप के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्ते बहाल हो रहें हैं। कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में वाइट हाउस में दोनों देश मसौदे पर दस्तखत कर सकते हैं। बुश प्रशासन के समय से ही अमेरिका दोनों देशों के बीच संबंध स्थापित करना चाहता था। जानकारों का कहना है कि ट्रंप को इसका फायदा आने वाले चुनावों में भी मिल सकता है।