भोपाल, 29 मई। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल पूरी तरह से लगभग एक हजार वर्ष पूर्व रचित भोज कृत समरांगण सूत्रधार में वर्णित डिजाइन पर बसा हुआ है। भोपाल नगर की समस्त सड़क संरचना, नगर नियोजन, घंटा मार्ग और द्वार आदि इसी ग्रंथ पर आधारित हैं। नगर के बीचोबीच चौक में ब्रह्म स्थान भी निर्मित किया गया था। भोज कृत समरांगण सूत्रधार में उल्लेखित विवरणों को सेटेलाइट चित्र के माध्यम से सिद्ध करते हुए नेहा तिवारी ने भोपाल के नगर नियोजन पर विस्तार से जानकारी दी।

गुरूवार को दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार ‘रीविजिटिंग सेंट्रल इंडिया’ के द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए परंपरागत विज्ञान, इतिहास एवं संस्कृति अध्येता सुश्री नेहा तिवारी ने भोजकृत उक्त ग्रंथ के आधार पर नगरों के नियोजन पर जोर दिया।

इस चार दिवसीय वेबीनार के दूसरे दिन ‘राजा भोज कृत समरांगण सूत्रधार और भोजपाल का नियोजन’ विषयक सत्र में उन्होंने कहा कि राजा भोज निरंतर ज्ञान-रचनाओं में जुटे रहे, इसके लिये भी लोक समाज उन्हें याद करता है। उन्होंने कहा कि ज्ञान केवल स्मृतियों में ही नहीं निर्मितियों में भी विद्यमान रहता है। वहीं, उन्होंने 21 राजाओं को साथ लेकर बहराइच के युद्ध में गजनी के भतीजे सलार मसूद को अफगानिस्तान तक खदेड़ा था। राजा भोज 90 वर्ष के जीवन में युद्ध लड़ते रहे। उन्होंने बताया कि राजा भोज ने अपने साम्राज्य को हिमालय से लेकर दक्षिण तक और अफगानिस्तान से लेकर असम तक फैलाया।

उन्होंने बताया कि राजा भोज ने समरांण सूत्रधार के आधार पर जो ढेरों जलाश्रय, मंदिर, महल, किले बनावाए, जिनसे आधुनिक विज्ञान को सीखने की आवश्यकता है। उनके द्वारा बनवाए गये बाँध आज भी सुरक्षित हैं। उन्होंने मांग को ध्यान में रखते हुए यंत्रों का निर्माण कराया। पाठ्यक्रमों में राजा भोज के बारे में तथ्यपरक विस्तृत उल्लेख न होने पर चिंता व्यक्‍त करते हुए उन्होंने कहा कि विरासतों का लाभ हम सभी नहीं उठा पाए।

गाँवों से जुड़े होने चाहिए नगर

स्मार्ट सिटी के लिये देश संसाधन लगा तो रहा है, लेकिन प्रोजेक्ट पूरी तरह से सही नहीं है। नगर बसाने के साथ उसकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये चारों तरफ गाँव बसाने चाहिये, ताकि उस नगर की आपूर्ति हो और उन गाँवों में होनी वाली उपज के लिये मंडी चाहिये। आसपास पानी की व्यवस्था अच्छी करनी होगी। वर्षा काल के पानी को संरक्षण करने की व्यवस्था करनी होगी। दूध, सब्जी, बिजली आदि की आवश्यकताओं की आपूर्ति आसपास से ही होना चाहिए।

आधुनिक विज्ञान को सीखने की आवश्यकता

नेहा तिवारी ने कहा कि 10वीं सदी युद्ध अभियानों, विदेशी आक्रांताओं को खदेड़ने आदि के साथ ही उत्तम श्रेणी की रचनाओं के लिये भी जाना जाता है। ऐसी सर्वोत्कृष्ट रचना काल कभी देखा नहीं गया। राजा भोज द्वारा लिखित 84 ग्रंथों में विज्ञान, साहित्य शास्त्र, व्याकरण, धर्म शास्त्र, संगीत स्थापत्य कला सहित 12 विषय हैं, जिनपर व्यापक रूप से कार्य करने की आवश्यकता है। राजा भोज से आधुनिक विज्ञान को सीखने की आवश्यकता है।

ग्रंथों में 10 मंजिला भवनों की संरचनाओं का जिक्र

विभिन्न प्रमाणों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि मेवाड़ में अभिलेख मिले हैं, जिनमें भोज के कृतिमान प्रमाणित हैं। राजा भोज ने अपने ग्रंथों में तत्कालीन विषयों पर भी लिखा है। उनके ग्रंथों में 10 मंजिला भवनों तक की संरचनाओं का जिक्र मिलता है। उनके ग्रंथों को बचाने और अनुवाद करने वाले सराहनीय हैं। विषम परिस्थितियों में ज्ञान को संरक्षित करने वालों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना चाहिये।

उन्होंने भोजकृत समरांगण सूत्रधार का उल्लेख करते हुए कहा कि जब नगर संरचना का संयोजन करते हैं तो इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि कैसे उसके चारों तरफ पानी के सप्लाई के लिये व्यवस्था करना है। लोहा बाजार कहाँ होगा, सूरा बाजार कहाँ होगा,अनाज बाजार कहाँ होगा, शकों के घर कैसे होंगे,यवनों के घर कैसे होंगे आदि बातों का जिक्र राजा भोज के ग्रंथों में मिलता है।

अपनी विरासत व संसाधन का हो उपयोग

हेरिटेज सिटी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नगरीकरण के लिये समग्र रचना अपनी विरासत व संसाधन के आधार पर हो तो ही वास्तविक विकास होगा। हमारे पास ज्ञान है, उसके आधार पर पूर्ण नियोजन संरचना बनाकर लागू करने आवश्यकता है। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी हृदय योजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह हेरिटेज सिटी स्थापित करने के उद्देश्य से ही है।

कार्यक्रम के संयोजक संस्थान के निदेशक डॉ मुकेश कुमार मिश्रा ने कहा कि समुचित ज्ञान को आगे बढ़ाना होगा। राजा भोज की जीवन यात्रा को अपने शोधों व अध्ययन के माध्यम से वैश्विक पटल पर रखने की आवश्यकता है। उनके साहित्य,स्थापत्य कला,शासन काल आदि से विश्व समुदाय को बहुत कुछ मिल सकता है।

वेबिनार में नेहा तिवारी ने पीपीटी के माध्यम से भोपाल का नगरीय संयोजन दिखाते हुए राजा भोज के नगर नियोजन पर विस्तृत प्रकाश डाला। भोपाल नगर में राजा भोज द्वारा बनाये गये बाँध, नगर, जलाश्रय आदि निर्माणों व स्थापत्य कलाओं को सेटेलाइट सिस्टम द्वारा उन्होंने प्रतिभागियों को दिखाया। कार्यक्रम में देश भर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों, संगठनों से जुड़े लोगों के अलावा, विद्यार्थी, शोधार्थियों की उपस्थिति रही।