वर्धा,(महाराष्ट्र) : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के संस्कृति विद्यापीठ के दर्शन एवं संस्कृति विभाग के अंतर्गत बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर 7 और 8 मई को “समकालीन वैश्विक संकट में बुद्ध की देशना” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार (ऑनलाइन सेमिनार) का समापन कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल की अध्यक्षता में शुक्रवार को किया गया। समापन पर मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय तिब्बती अध्ययन विश्वविद्यालय, सारनाथ, वाराणसी के कुलपति प्रो. जी. नवांग साम्तेन ने संबोधित किया।
बौद्धिक अभ्यास दर्शन के प्रकाण्ड विद्वान प्रो. जी. नवांग साम्तेन ने अपने वक्तव्य में कहा कि कोरोना के कारण डर और भय पैदा हुआ है, जिसे हमें बुद्ध दर्शन के परिप्रेक्ष्य में देखना चाहिए। देश और दुनिया का वैज्ञानिक विकास हुआ है जिसका फायदा और नुकसान भी हो रहा है। हमें कोरोना महामारी के संकट की वस्तुस्थिति को समझना चाहिए। सामाजिक दूरी बनाकर हम स्वयं और समाज को सुरक्षित रख सकते है, इसका हमें ठीक से पालन करना जरूरी है। इस संकट को उन्होंने अविद्या को कारण मानते हुए कहा कि संकट, परेशानियां, दुःख तथा संकीर्ण मानसिकता हमारे कृत्यों के कारण हैं। उन्होंने कोरोना से लड रहे डॉक्टर,नर्स, पुलिस और प्रशासन के प्रति आभार जताते हुए आशा जताया कि हमारे सम्मीलित संघर्ष से हम इस संकट पर विजय प्राप्त कर सकेंगे।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि कोरोना के कारण संसार अदभूत बदला हुआ दिखायी दे रहा है। एकतरफ भयानक संकट है तो दूसरी तरफ ह्रदयाघात जैसी घटनाओं में कमी आयी है। इस महामारी ने हमें कम संसाधनों में जीना सिखाया है। कोरोना ने अनेक समस्याएं पैदा की है और समस्याओं के समाधान के सूत्र हमें बुद्ध की देशना और वचनों में मिलते हैं।
समापन सत्र का संचालन डॉ. जयंत उपाध्याय ने किया तथा धन्यवाद संस्कृति विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने ज्ञापित किया।
वेबिनार के लिए देश भर से एक हजार से अधिक अध्यापकों, विद्वानों और शोधार्थियों ने पंजीकरण किया था। विभिन्न पांच सत्रों में प्रो.एस.आर.भटृ, दिल्ली, प्रो.आर.सी. सिन्हा, पटना, प्रो.जटाशंकर, प्रयागराज, प्रो.राकेश मिश्रा, जम्मू, प्रो.राजकुमारी सिन्हा, रांची, प्रो. विमलेन्द्र कुमार, प्रो. सच्चिदानंद, प्रो.रमेश प्रसाद, प्रो.रमेश द्विवेदी आदि वक्ताओं ने संबोधित करते हुए बुद्ध की देशना और दर्शन पर विचार-विमर्श किया। सत्रों का संचालन डॉ. मनोज कुमार राय, डॉ. सूर्य प्रकाश पाण्डेय, डॉ. कृष्ण चंद पाण्डेय, डॉ. सुरजीत कुमार सिंह ने किया।
वेबिनार में प्रो.चंद्रकांत रागीट, प्रतिकुलपति, प्रो. नमिता निम्बालकर, प्रो. अखिलेश दुबे, डॉ. सरिता रानी, डॉ. बीर पाल सिंह यादव, डॉ. बुद्धघोष, डॉ. शैलेन्द्र कुमार सिंह, डॉ. संजय कुमार तिवारी, ऋचा द्विवेदी, अखिलेश कुमार सिंह सहित देशभर से अध्यापकों और शोधकर्ताओं ने इसमें सहभागिता की।