प्रोफेसर रजनीश शुक्ला, कुलपति महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा महाराष्ट्र

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय,वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा है कि वर्तमान संकट सभ्यता के कारण ऊपजा संकट है, यह नई सभ्यता का निर्माण करेगा और यह महात्मा बुद्ध के दिखाये रास्ते अर्थात दया, करुणा और अहिंसा आधारित सभ्यता होगी। प्रो शुक्ल ‘समकालीन वैश्‍व‍िक संकट में बुद्ध की देशना’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में अपनी बात रखते हुए कहा।

विश्वविद्यालय के संस्कृति विद्यापीठ दर्शन एवं संस्कृति विभाग के अंतर्गत बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर 7 और 8 मई को “समकालीन वैश्‍व‍िक संकट में बुद्ध की देशना” विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार (ऑनलाइन सेमिनार) का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन कुलपति प्रो. शुक्ल किया।

मुख्य अतिथि के रूप में नव नालन्दा महाविहार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर वैद्यनाथ लाभ थे। इस अवसर पर देश के वरिष्ठ दर्शनशास्त्री प्रोफेसर अशोक कुमार चटर्जी भी वेबिनार के जरिए जुड़े। इस वेबिनार में देश के विभिन्न शिक्षा संस्थानों के संकाय सदस्य एवं शोधार्थी सहभागिता की। दो दिनों की संगोष्‍ठी में संबंधित विषय पर देश के विभिन्न विद्वानों के ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है।

व्याख्यान में हिस्सा लेते लोग

कोरोना त्रासदी से उपजे संकट का संदर्भ लेते हुए कुलपति प्रो. शुक्ल ने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि तथागत बुद्ध ने अपने संदेश में मानवता के कल्याण की बात कही है और आज के समय में उनकी करूणा दृष्टि ही पूरी मानवीय सभ्यता को नया मार्ग दिखा सकती है। करूणा की दृष्टि से वैरत्व का समापन हो सकता है और दूसरों के दुख को दूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस यत्न में सभी को सहभागी होना चाहिए।

उदघाटन वक्तव्य में प्रो. वैद्यनाथ लाभ ने कहा कि हमें कोरोना से बुद्ध की करूणा की ओर जाना होगा। कोरोना के कारण सामाजिक दूरी जरूर बनाएं परंतु हमें भावना से दूर नहीं रहना चाहिए, बुद्ध का यही संदेश संकट की इस घड़ी में प्रासंगिक है।

बौद्ध विद्या के निष्णात, दर्शन के विद्वान प्रो.अशोक कुमार चटर्जी ने अपने श्रव्य संदेश में कहा कि बुद्ध ने कामना को दुख का कारण माना. कामना हमारी कल्पना है और यह अहं से आती है. हमें अहंता को हटाना चाहिए। आधुनिक काल में अहंता का प्रकोप ज्यादा प्रबल हुआ है, अर्थात अहंता का निषेध ही प्रासंगिक है।

उदघाटन कार्यक्रम का स्वागत वक्तव्य संस्कृति विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने दिया तथा संचालन डॉ. जयंत उपाध्याय ने किया।

इस सत्र के बाद प्रो. अंबिका दत्त शर्मा, प्रो. अरविंद कुमार राय, प्रो. आनंद मिश्र, प्रो. सुशील कुमार तिवारी ने बुद्ध के विचार-दर्शन पर चर्चा की. सत्र का संचालन विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार राय ने किया।

वेबिनार को गूगल मीट से आयोजित किया गया जिसका संयोजन लीला विभाग के गिरीश पाण्डेय, अरविंद कुमार, अंजनी राय, हिमांशु नारायण, अजय कुमार, गुड्डू, रवि वानखेड़े, सचिन ने किया. जिसमें डॉ. सुरजीत कुमार सिंह, डॉ. सूर्य प्रकाश पांडेय सहित देशभर से अध्यापकों और शोधकर्ताओं ने इसमें सहभागिता की।