स्रोत : ANI

केंद्र सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति बनाए जाने पर दिल्‍ली की आम आदमी पार्टी सरकार के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बहुत सालों से देश नई शिक्षा नीति का इंतजार कर रहा था। नई शिक्षा नीति आने में करीब 34 साल लग गए। अब यह सामने आई है। यह आगे की सोच रखने वाली एक नीति जरूर है, मगर इस नीति में कुछ समस्‍याएं मुझे नजर आ रही हैं। पहली यह है कि यह पहले से चली आ रही पेरेंट्स के ऊपर फीस दबाव को तोड़ पाने में समक्ष नहीं है।

नर्सरी से 12वीं तक फ्री एजुकेशन होगी, कैसे होगी, इस पर भी पॉलिसी चुप’
मनीष सिसोदिया ने कहा कि नर्सरी से 12वीं तक फ्री एजुकेशन होगी, कैसे होगी, इस पर भी पॉलिसी चुप है। पॉलिसी फंडिंग की कमी का रोना रो रही है। नई पॉलिसी में अर्ली चाइल्डहुड में दो मॉडल दिए गए हैं– एक आंगनवाड़ी और दूसरा प्री प्राइमरी। ऐसे में समान एजुकेशन कैसे मिलेगी? उन्होंने कहा कि क्वालिटी एजुकेशन हर बच्चे को देना सरकार की जिम्मेदारी है। यह पॉलिसी इस पर कोई बात नहीं करती कि सरकारी एजुकेशन सिस्टम को कैसे बेहतर किया जाएगा, बल्कि यह प्राइवेट एजुकेशन को बढ़ावा दे रही है। यह पॉलिसी की सबसे बड़ी कमी है।

क्षेत्रीय भाषाओं में मलिक शिक्षा प्रगतिशील कदम

उन्होंने कहा, ‘‘नीति एक अत्यधिक विनियमित और कमजोर वित्त पोषित शिक्षा मॉडल की सिफारिश करती है। यह नीति सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के सरकार के दायित्व से बचने का प्रयास है।’’ उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पांचवी कक्षा तक मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषाओं में मौलिक शिक्षण प्रदान करना एक प्रगतिशील कदम है।

हमें बोर्ड परीक्षाओं की आवश्यकता क्यों है

हम बच्चों की शुरुआती शिक्षा पर ध्यान देने की बात का भी स्वागत करते हैं।’’ दिल्ली के शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने कहा, ‘‘अगर विश्वविद्यालयों में संयुक्त प्रवेश परीक्षाएं होने जा रही हैं, तो हमें बोर्ड परीक्षाओं की आवश्यकता क्यों है? पिछली चीजों को दोहराने की आवश्यकता क्या है? एक नीति, जो अब अगले कुछ दशकों तक लागू होने जा रही है, वह खेल-कूद की गतिविधियों पर पूरी तरह से मौन है।’’

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नयी शिक्षा नीति(एनईपी) को मंजूरी दे दी, जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किये गए हैं। साथ ही, शिक्षा क्षेत्र में खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत करने तथा उच्च शिक्षा में साल 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।