आशीष मिश्रा
पिछले कुछ दिनों से हो रहे ग्रह योग परिवर्तन राहत देने वाले होंगे तदपि यह योग व आगामी दिनों में बनने वाले विभिन्न प्रकार कि ग्रह युति कुछ दिनों के लिए आंशिक राहत देने वाली होगी परन्तु जून माह में सूर्य पर ग्रहण,गुरु चांडाल योग पुनः विनाशकारी सिद्ध होंगे ।
ज्येष्ठ कृष्ण सप्तमी गुरुवार 14 मई की रात्रि में सूर्यदेव अपनी उच्च राशि मेष से निकलकर वृषभ राशि मे प्रवेश करेंगे। वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है, सूर्य देव के वृषभ राशि मे प्रवेश करते ही वृषभ राशि मे त्रिग्रही योग का निर्माण करायेगा। विदित है कि पिछले दिनों बुध व वक्री शुक्र पूर्व से ही वृषभ राशि मे विचरण कर रहे हैं, जिससे वृषभ राशि मे सूर्य के प्रवेश करते ही तीन ग्रहों की युति बन रही है। शास्त्रकार बताते हैं कि यह योग शुभकारी नहीं, इस दौरान जातक कष्ट व दुःख भोग करते हैं तथा यह योग विनाशकारी है परंतु सूर्य ग्रह के साथ बुध ग्रह का होना बुधादित्य योग का भी निर्माण कराता है, यह योग राजयोग कारक, कष्टकारक होता है। सूर्य ग्रह का वृषभ राशि में प्रवेश वृषभ संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है, ग्रहाधिपति सूर्य आरोग्य के देव हैं वह सभी प्रकार के रोगों, कष्टों का शमन करने वाले हैं, उनका बुध के साथ होकर बुधादित्य योग सम्पूर्ण विश्व को इस महामारी से नाश में सहायक होगा। सूर्य देव अपने प्रभाव से अपने रश्मियों के माध्यम से सभी कष्टों का शमन करेंगे। इसी प्रकार देव गुरु बृहस्पति भी इस दौरान मकर राशि मे चाल बदलकर मार्गी से वक्री होना सकारात्मक परिणाम को देने वाला होगा, जिससे सम्पूर्ण राष्ट्र की उन्नति पर विशेष प्रभाव पड़ेगा तथा आने वाले दिनों में व्यापार जगत, चिकित्सा क्षेत्र में भी उत्कृष्ट परिणाम दिखेंगे।
इसी प्रकार 30 जून को देवगुरु बृहस्पति पुनः मकर से धनु राशि मे आ जाएंगे व उनकी युति मकर में पूर्व से विद्यमान केतु के साथ बनेगी यह योग गुरु चांडाल योग का निर्माण करेगा, जो विश्व के लिए अच्छा नहीं, इसी दौरान सूर्य पर राहु का ग्रहण भी होगा, यह ग्रहण भी अच्छा नहीं, इस दौरान विभिन्न प्रकार के व्यवधान उत्पन्न होंगे तथा राष्ट्र को आपदाओं के भी सामाना करना पड़ सकता है। यह योग परिस्थितियों में परिवर्तन का कारक बनेंगी। परिश्रम की विशेष आवश्यकता होगी। अगस्त माह कब मध्य से ग्रह योग परिवर्तन धीरे-धीरे पुनः सृष्टि के मूल में वापस आएंगे, जो लाभप्रद होगा।
विशेष :-
राशि अनुसार स्पष्ट करने परज्ञात होता है कि इस काल के दौरान मेष, वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि के जातकों के लिए यह समय अनुकूल रह सकता है । इन लोगों को सतर्कता रखनी चाहिए । वरिष्ठ लोगों का मार्गदर्शन अवश्य लें, सफलता में संशय नहीं । शेष मिथुन, सिंह व धनु राशि के लोगों को अतिरिक्त सतर्कता रखनी चाहिए। अन्यथा हानि हो सकती है। धैर्य बनाए रखें, क्रोध न करें। किसी का अपमान न करें।
उपाय- नित्य सूर्यार्घ, प्राणायाम, व देवस्तुति से लाभ होगा