केंद्र सरकार द्वारा डायरेक्ट मार्केटिंग में किसानों की सुविधा, बेहतर रिटर्न जैसी चीज़ों के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। हाल ही में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने कुछ दिशा निर्देश जारी किये हैं। कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए और किसानों को उससे बचाने के लिये ये दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
इसमें मंडियो में सोशल डिस्टेनसिंग बनाये रखने की सलाह दी गयी है। इसके साथ ही राज्यों से अनुरोध भी किया गया है कि वह किसानों/किसान समूहों/एफपीओ/सहकारी समितियों को थोक खरीदारों/बड़े खुदरा विक्रेताओं/प्रोसेसरों आदि को अपनी उपज बेचने में सुविधा प्रदान करने के लिए ’डायरेक्ट मार्केटिंग’ को बढ़ावा दें।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 16 अप्रैल, 2020 को विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजा था। जिसमें कहा गया था कि राज्यों द्वारा किसानों को सहकारिता/एफपीओ आदि के माध्यम से डायरेक्ट मार्केटिंग की आवश्यकता को बताया जाए और सभी को इस प्रक्रिया को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
राष्ट्रीय कृषि बाजार के अंतर्गत दो मॉड्यूल बनाये गए हैं:
थोक बाजारों को कम करने और आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने के लिए, नेशनल एग्रीकल्चर मार्किट/ राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) के अंतर्गत दो मॉड्यूल बनाये गये हैं जो निम्नलिखित हैं:
एफपीओ मॉड्यूल:
एफपीओ में सीधे e-NAM पोर्टल से व्यापार कर सकते हैं। इसमें सीधा चित्र और गुणवत्ता पैरामीटर के साथ संग्रह केंद्रों से उपज विवरण अपलोड कर सकते हैं और भौतिक रूप या खुद मंडियों तक बिना जाए ही इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।
वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल:
किसान अपनी उपज को वेयरहाउसिंग डेवेलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) पंजीकृत गोदामों से अधिसूचित डीम्ड बाजार में बेच सकते हैं। इससे उन्हें भौतिक रूप से अपनी उपज को मंडियों में लाने-लेजाने की आवश्यकता नहीं होगी।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार विभिन्न राज्यों ने डायरेक्ट मार्केटिंग को अपनाया है और इसके लिए कई उपाय भी किए हैं। इनमें कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात जैसे विभिन्न राज्य शामिल हैं।
(News source: PIB)