स्रोत - न्यूज दर्पण

भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध चल रहा है। काफी संख्या में चीनी सैनिक अस्थायी सीमा के अंदर भारतीय क्षेत्र में पैंगोंग त्सो सहित कई स्थानों पर घुस आए हैं। भारतीय सेना ने घुसपैठ पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए उनकी तुरंत वापसी की मांग की है। गतिरोध दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले कुछ दिनों में कई वार्ताएं हुई हैं। भारत और चीन का सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर है। चीन, तिब्बत के दक्षिणी हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग बताता है। वही 15 – 16 जून को गलवान वैली में भारत के 20 जवानों ने सर्वोच्च कुर्बानी दी है। इन सब विवादों के बीच मे डॉ मनमोहन सिंह ने प्रेस रिलीज करके देश और सरकार को एक संदेश दिया है।

साहसी जवानों ने सर्वोच्च कुर्बानी दी

डॉ मनमोहन सिंह ने कहा है कि 15 – 16 जून, 2020 को गलवान वैली, लद्दाख में भारत के 20 साथी जवानों ने सर्वोच्च कुर्बानी दी। इन बहादुर सैनिकों ने साहस के साथ अपना कर्तव्य निभाते हुए देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। देश के इन सपूतों ने अपनी अंतिम सांस तक मातृभूमि की रक्षा की। इस सर्वोच्च त्याग के लिए हम इंसान से सैनिकों व उनके परिवारों के कृतज्ञ हैं लेकिन उनका यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।

भविष्य की पीढ़ियां हमारा आकलन कैसे करें

आज हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े हैं हमारी सरकार के निर्णय वह सरकार द्वारा उठाए गए कदम तय करेंगे कि भविष्य की पीढ़ियां हमारा आंकलन कैसे करें। जो देश का नेतृत्व कर रहे हैं, उनके कंधों पर कर्तव्य का गहन दायित्व है।हमारे प्रजातंत्र में यह दायित्व देश के प्रधानमंत्री का है। प्रधानमंत्री को अपने शब्दों एलानोर द्वारा देश की सुरक्षा एवं सामरिक व भूभागीय हितों पर पड़ने वाले प्रभाव के प्रति सदैव बेहद सावधान होना चाहिए।

धमकी और दबाव के सामने नहीं झुकेंगे

चीन ने अप्रैल, 2020 से लेकर आज तक भारतीय सीमा में गलवान वैली एवं पेंगोंग त्सो लेक में अनेकों बार जबरन घुसपैठ की है।हम ना तो उनकी धमकी व दबाव के सामने झुकेंगे और ना ही अपनी भूभागीय अखंडता से कोई समझौता स्वीकार करेंगे। प्रधानमंत्री को अपने बयान से उनके षड्यंत्रकारी रुख को बल नहीं देना चाहिए तथा या सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार के सभी अंग इस खतरे का सामना करने व स्थिति को और ज्यादा गंभीर होने से रोकने के लिए परस्पर सहमति से काम करें।
यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है तथा संगठित होकर इस दुशासन का जवाब देना है।

वक्त की चुनौतियों का सामना करे सरकार’

हम सरकार को आगाह करेंगे कि भ्रामक प्रचार कभी भी कूटनीति तथा मजबूत नेतृत्व का विकल्प नहीं हो सकता। पिछलग्गू सहयोगियों द्वारा बिचारी छूट के आडंबर से सच्चाई को नहीं दबाया जा सकता।
हम प्रधानमंत्री व केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वह वक्त की चुनौतियों का सामना करें, और कर्नल बी. संतोष बाबू व हमारे सैनिकों की कुर्बानी की कसौटी पर खरा उतरे, जिन्होंने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ व भूभागीय अखंडता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।