प्रशांत मिश्रा
कोरोना महामारी के चलते सिनेमाघर तो बंद हैं लेकिन ओटीटी प्लेटफॉर्म पर एक के बाद एक नई फिल्में रिलीज हो रही हैं। हाल ही में जाह्नवी कपूर स्टाटर गुंजन सक्सेना द-कारगिल गर्ल भी 12 अगस्त से नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो गई है। दुनिया कितनी भी आधुनिक क्यों ना हो जाए लड़के-लड़की के बीच भेदभाव वाली मानसिकता खत्म नहीं हो सकती। चाहे वो गांव हो या फिर एयरफोर्स बेस। गुंजन सक्सेना बहुत मेहनत और लगन के साथ एयरफोर्स ज्वाइन करती हैं लेकिन एयर फोर्स पायलट की ट्रेनिंग के दौरान पुरुष सहकर्मियों के मुकाबले भेदभाव का शिकार होती है। एयर फोर्स में महिला हेलिकॉप्टर चालक को कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं था। महिलाएं गाड़ी तो ठीक से चला नहीं पाती हेलिकॉप्टर कैसे उड़ाएंगी ..यही नजरिया था गुंजन के सहकर्मियों का …लेकिन देश की पहली महिला एयरफोर्स पायलट गुंजन इरादे की काफी पक्की थीं…और फिर गुंजन वो कर दिखाया जिसकी चाह लेकर उन्होंने एयरफोर्स ज्वाइन किया था। फिल्म में ना तो युद्ध के भयंकर सीन हैं और ना रोमांस ….है तो सिर्फ गुंजन का संघर्ष। कारगिल युद्ध के दौरान 1999 में पूर्व हेलीकॉप्टर पायलट गुंजन ने युद्ध भूमि में अपनी बहादुरी दिखाई थी। कारगिल वॉर जोन में उन्होंने चीता हेलिकॉप्टर उड़ाया था। पहली महिला कॉम्बेट वॉरियर गुजंन ने घायल सैनिको को युद्ध भूमि से लाने, दुश्मन के अड्डो का पता लगाने, सैनिको को भोजन पहुंचाने का काम किया था। गुंजन एक बहादुर महिला पायलट होती है।
फिल्म की कहानी
गुंजन सक्सेना (Gunjan Saxena) लखनऊ की रहने वाली होती हैं और उनके सपने आकाश में उड़ने के थे….वो गुड़्डे गुड़ियों से नहीं अपने भाई के उड़ने वाले हेलिकॉफ्टर से खेला करती थी। आसमान में घंटों हवाई जहाजों को देखा करती थी। गुंजन को उड़ना था । पायलट बनना था। पहले कर्मिशियल पायलट बनने की कोशिश, फिर लाखों रुपये की फीस देख कदम खींच लिए। फिर गुंजन ने एयरफोर्स पायलट बनने का सोचा। परिवार में भाई आयुष्मान सक्सेना (अंगद बेदी ) और मां कीर्ति सक्सेना (आएशा रजा मिश्रा) ने उसके फैसले का विरोध किया लेकिन पिता अनूप सक्सेना (पंकज त्रिपाठी) ने बेटी के सपने को साकार करने में मदद की। गुंजन एयरफोर्स में चुन ली जाती है, कड़ी ट्रेनिंग होती है, हर मुश्किल को वो पार करती जाती हैं। इसके बाद फ्लाइंग ट्रेनिंग के लिए उधमपुर एयरफोर्स बेस में जाती है। वहां गुंजन को सीनियर्स और पुरुष सहकर्मियों की उपेक्षा मिलती है लेकिन गुंजन अपने लक्ष्य की ओर जुटी रहती हैं। फ्लाइट कमांडर दिलीप सिंह (विनीत कुमार सिंह) उसे कोई मौका नहीं देना चाहता। बात-बात पर वो अपमानित भी होती है। उसी दौरान कारगिल में युद्ध छिड़ता है और गुंजन वहां अपनी जांबाजी दिखाकर विरोधियों का भी दिल जीत लेती है।
फिल्म : गुंजन सक्सेना-द कारगिल गर्ल (Gunjan Saxena The Kargil Girl)
कलाकार : जाह्णवी कपूर, पंकज त्रिपाठी, अंगद बेदी, विनीत कुमार सिंह
डायरेक्टर : शरन शर्मा
अवधि : 1 घंटा 52 मिनट
रेटिंग्स : 3.5
लेखक की राय
आपको बतादें ये जाह्नवी कपूर की दूसरी फिल्म है और अभिनय की काफी बारीकी वो सीख चुकी हैं। फिल्म में कई जगह अपने चेहरे के भाव और डायलॉग्स से वो दर्शकों को प्रभावित करती हैं। एयरफोर्स बेस में जब गुंजन के साथ भेदभाव हो रहा था वो दर्द जाह्नवी के चेहरे पर बखूबी दिखा। फिल्म के लिए की गई उनकी मेहनत निखर कर सामने आई। अपनी एक्टिंग स्किल को उन्होंने बेहतर किया है। पंकज त्रिपाठी लाजवाब एक्टर हैं। गुंजन के पिता के किरदार को उन्होंने काफी शानदार तरीके से निभाया है। अंगद बेदी एक प्रोटेक्टिव भाई के रोल में वो जंचे हैं। वहीं एयरफोर्स अकादमी में जाह्ववी के सीनियर के रोल में विनीत कुमार सिंह भी दमदार रोल में दिखें। बात करें डायरेक्टर शरन शर्मा की तो उन्होंने अपनी पहली फिल्म को उन्होंने रोचक तरीके से बनाया है। फिल्म पर पकड़ बनाए रखते हुए एयरफोर्स किस तरह से काम करता है ये उन्होंने दिखाया है। ना तो फिल्म में हीरो हीरोइन की कहानी और ना ही रोमांटिक गाने है लेकिन इसके बावजूद शरन शर्मा जो कहना चाहते थे वो उन्होंने कह दिया है।
किसी को अंदेशा नहीं था कि कारगिल में युद्ध के हालात बन जाएंगे। उस दौरान कब क्या कैसे हुआ और उसमें गुंजन सक्सेना का कितना अहम किरदार था ये फिल्म में दिखाया गया है। कारगिल युद्ध के दौरान भारत की ओर से एकमात्र महिला थी जो युद्ध लड़ रही थी और वो थी गुंजन सक्सैना।