शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि नई शिक्षा नीति युवाओं के भविष्य को बेहतर बनाने के साथ ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर बढ़ाया गया एक कदम है। उन्होंने कहा कि यह देश के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होने वाली है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह नीति हमारी सांस्कृतिक शिक्षा प्रणाली को पुनर्जीवित करने वाली और सभी के साथ न्याय करने वाली है। उन्होंने कहा, ‘शिक्षा के क्षेत्र में खासकर तकनीकी शिक्षा में लिंग के आधार पर भेदभाव होता आया है। इस नीति से महिलाओं को भी कदम से कदम मिलाकर चलने का अवसर मिलेगा।’ उन्होंने कहा कि इस नीति में जिगीशा यानी बहस या तर्क करने का ज्यादा स्कोप दिया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि 2.5 लाख ग्राम पंचायतों और 12500 से अधिक निकायो की राय से और भागीदारी से यह नीति तैयार की गई है। उन्होंने कहा,’नई शिक्षा नीति नंबरों के लिए रट्टा मारने को पीछे छोड़कर ज्ञान वर्धन की तरफ ले जाने वाली है। एक समय पर भारत पूरे विश्व में शिक्षा का सम्मानित केंद्र हुआ करता था लेकिन आज शिक्षण संस्थानों के मामले में भारत शीर्ष पर नहीं हैं। इसके लिए प्रयास करने की जरूरत है।
प्रेजिडेंट ने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य 21वीं शताब्दी की जरूरतों को पूरा करना है। इसके जरिए छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा दी जाएगी जिससे दुनियाभर में वे खुद को कहीं भी पिछड़ा नहीं महसूस करेंगे। उन्होंने कहा, ‘उच्च शिक्षण संस्थान अन्वेषण का केंद्र होने चाहिए। यहां लोगों की सहभागिता जरूरी है साथ ही स्थानीय ज्ञान को भी प्रमोट करना जरूरी है। नई शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन देश का सम्मान वापस दिलाएगा।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि अकैडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (ABC) एक बड़ा सुधार है जिसके माध्यम से छात्रों को मदद मिलेगी। इसमें अलग-अलग संस्थानों से मिले क्रेडिट को डिजिटली स्टोर किया जाएगा और उसी आधार पर डिग्री दी जाएगी। इससे छात्रों को वोकेशनल, प्रोफेशनल और इंटेलेक्चुअल शिक्षा मिलेगी। छात्र समय पर संस्थान से बाहर जाकर दोबारा जॉइन कर सकेंगे। NEP शिक्षा में लचीलापन आएगा।