महाराष्ट्र में एक बार फिर राजनीतिक गतिरोध देखने को मिल सकता है। इस बार फिर उद्धव ठाकरे की कुर्सी खतरे में है। वर्तमान में उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के किसी भी सदन के सदस्य नहीं है। संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री बनने के 6 माह के अन्दर विधानसभा या विधान परिषद की सदस्यता अनिवार्य है। लेकिन कोरोना वायरस के कारण महाराष्ट्र के विधान परिषद के चुनाव होने की संभावना न के बराबर है। ऐसे में अगर 24 मई तक उद्धव ठाकरे विधायक नहीं बनते हैं तो उनको मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है। उद्धव ठाकरे को उम्मीद थी कि 24 अप्रैल को खाली हो रही विधान परिषद की किसी एक सीट पर वो निर्वाचित हो जाएंगे। लेकिन कोरोना ने गणित बिगाड़ दिया।
कैसी बच सकती है उद्धव की कुर्सी
उद्धव ठाकरे की कुर्सी अब एक स्थिति में बच सकती है और वह है कि राज्यपाल उनको मनोनीत कर दें। राज्यपाल 12 लोगों को महाराष्ट्र के विधान परिषद के लिए मनोनीत कर सकते है। इस समय महाराष्ट्र विधान परिषद की दो सीटें खाली है लेकिन उन दोनों सीटों का कार्यकाल जून में पूरा होगा। ऐसी स्थिति राज्यपाल चाहे तो नियमों का हवाला देकर मनोनयन रोक सकता है। क्योंकि जिस भी सीट पर 6 महीने से कम का समय बचता है वहां चुनाव नहीं होते हैं।
वहीं महाराष्ट्र कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में मनोनीत करने की बात है। मंगलवार को महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार सहित गठबंधन के नेता राज्यपाल से मिलें है। अगर राज्यपाल मनोनयन से इनकार कर देते हैं तो एक बार फिर महाराष्ट्र का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच सकता है।