शिल्पा दूबे
कोरोना संकट की महामारी को पूरी दुनिया इतने दिनों से झेल रही है अभी तक इसकी कोई वैक्सीन नहीं मिली है परन्तु इसी बीच एक उम्मीद दिखाई दी है वो है प्लाज्मा थेरपी।
कोरोना संकट के बीच डॉक्टर की तरफ से इलाज ढूंढने के लगातार प्रयास जारी हैं दिल्ली के कई अस्पताल में डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी से मरीजों का इलाज करने के प्रयास में डॉक्टर लगे हुए हैं।
अगर प्लाज्मा थेरेपी का क्लिनिकल ट्रायल सफल होता है तो कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के ब्लड प्लाज्मा से कोविड19 रोग से पीड़ित अन्य मरीजों का उपचार किया जा सकेगा.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने ब्लड प्लाज्मा थेरेपी से कोविड-19 संक्रमित मरीजों के उपचार के ट्रायल की अनुमति दे दी है। आईसीएमआर ने इस क्लिनिकल ट्रायल में शामिल होने के लिए विभिन्न संस्थाओं को आमंत्रित भी किया है।
कोरोना नाम की इस महामारी के केंद्र चीन में प्लाज्मा थेरेपी की मदद से इलाज में सकात्मक नतीजे देखे गए हैं. माना जा रहा है कि प्लाज्मा थेरेपी तकनीक कोविड-19 संक्रमण के इलाज में उम्मीद की एक किरण हो सकती है।
कोरोना से ठीक हो चुके एक व्यक्ति के शरीर से निकाले गए खून से कोरोना पीड़ित चार अन्य लोगों का इलाज किया जा सकता है। प्लाज्मा थेरेपी सिस्टम इस धारणा पर काम करता है कि जो मरीज किसी संक्रमण से उबर कर ठीक हो जाते हैं उनके शरीर में वायरस के संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं।
इसके बाद उस वायरस से पीड़ित नए मरीजों के खून में पुराने ठीक हो चुके मरीज का खून डालकर इन एंटीबॉडीज के जरिए नए मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को खत्म किया जा सकता है।