उत्तर की रायबरेली लोकसभा सीट जहाँ से जीत कर सोनिया गाँधी सांसद हैं। कभी इस सीट से इंदिरा गांधी चुनाव लड़ा करती थी। 1971 के आम चुनाव में इन्दिरा गांधी ने अपने विपक्षी उम्मीदवार राजनारायण को एक लाख से अधिक वोटों से हराया था। लेकिन उनकी एक गलती और 12 जून 1975 के दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले ने इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध करार देते हुए उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दिया था साथ ही उनके चुनाव लड़ने पर छ साल तक प्रतिबंध लगा दिया था।
क्या है पूरा मामला
1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था। जिसके बाद कांग्रेस कुल 518 में से 312 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। इंदिरा गांधी इस चुनाव के बाद पहले से बहुत मजबूत नेता बनकर उभरी थी।
इस चुनाव में इंदिरा गांधी के खिलाफ सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण ने इंदिरा गांधी पर चुनाव के सरकारी तंत्र के दुरूपयोग का आरोप लगाया था। यह मुकदमा ‘राजनारायण बनाम उत्तर’ प्रदेश नाम से मशहूर हुआ। राजनारायण की तरफ से यह केस वकील शांति भूषण लड़ रहे थे। राजनारायण की तरफ से शांतिभूषण ने कोर्ट में कहा कि इंदिरा गांधी के निजी सजीव यशपाल का इस्तीफा मंजूर होने से पहले ही वो चुनावों में प्रचार करने लगे थे।
इस आरोप में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को दोषी ठहराया और उनकी सदस्यता रद्द करने के साथ उनके किसी तरह से चुनाव लड़ने पर छ साल तक रोक लगा दिया था। हालांकि अदालत ने कांग्रेस को 3 हफ्ते का वक्त दिया था नई व्यवस्था बनाने के लिए। इसी दौरान इंदिरा गांधी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनें रहने की तो अनुमति दे दी लेकिन फैसला आने तक उनके मतदान पर रोक दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा गांधी के भत्ते और वेतन पर हाईकोर्ट के फैसले को भी बरकरार रखा।
यह वही समय था जब बिहार और गुजरात में छात्रों का आन्दोलन अपने चरम पर था। और उन छात्रों और संयुक्त विपक्ष का नेतृत्व लोकनायक कहे जाने वाले जय प्रकाश नारायण ‘जेपी’ कर रहे थे। जेपी लगातार बिहार की कांग्रेस सरकार इस्तीफा देने का दबाव बना रहे थे। हाईकोर्ट के फैसले के बाद जेपी के नेतृत्व में दिल्ली की रामलीला मैदान में 25 जून को विपक्ष ने रैली कर इंदिरा पर इस्तीफे का दबाव बढ़ा दिया। बढ़ते जनाक्रोश के बीच इंदिरा गांधी ने 26 जून को को आपातकाल की घोषणा कर दिया। जिसके बाद विपक्ष के साथ-साथ कांग्रेस में इंदिरा के विरोधी नेताओं को जेल भेज दिया गया। अगले चुनाव में इंदिरा गांधी को राजनारायण ने रायबरेली से चुनाव हरा दिया, इस चुनाव में संजय गांधी भी चुनाव हार गए थे। और आजादी के बाद पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार अस्तित्व में आई।