नव भारत फाउंडेशन (NBF) के तत्वावधान में “चिंतन से समाधान :समाधान की दिशा में यह भी एक बिंदु” पर वेबिनार का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, माननीय इंद्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन में नव भारत फाउंडेशन की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती रेशमा एच. सिंह एवं श्री विक्रमादित्य सिंह की तरफ से आयोजित किया गया इस वेबिनार में देश के कोने-कोने से प्रशासनिक, विधिक, सुरक्षाबलों से जुड़े वरिष्ठ व्यक्तियों, फिल्म एवं पत्रकारिता जगत के दिग्गजों, धर्म-आध्यात्म और शिक्षा जगत के प्रख्यात बुद्धिजीवियों के साथ बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने वेबिनार के केन्द्र बिन्दु रहे विषयों श्रीराम जन्मभूमि, अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) से संबंधित कुछ लोगों द्वारा अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति में इन संवेदनशील मुद्दों पर आम जनमानस में फैलाए गए भ्रम, भय और एक ख़ास एजेंडे के तहत किए गए दुष्प्रचार के खिलाफ मुखर होकर अपने विचार रखें।
मुख्य कार्यक्रम की शुरुआत सुजीत दासगुप्ता जी की तरफ से राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के गायन के साथ किया गया।
वेबिनार के प्रमुख वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, माननीय इंद्रेश कुमार जी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक डॉ. के.के. मोहम्मद ने अपने उद्बोधक वक्तव्य से सभी को श्रीराम जन्मभूमि की तर्ज़ पर देश के अन्य मुद्दों को लेकर एक खास एजेंडे के तहत तथ्य-रहित और तर्कहीन बातें फैलाकर नागरिकों में भ्रम, असंतोष, भय और आपस में कटुता की भावना पैदा करने वाले छद्म बुद्धिजीवियों को आड़े हाथों लेकर लोगों को उनसे सतर्क रहने को कहा।
सबसे पहले डीजीपी व लेखक केपी सिंह ने देश के केंद्रीय नेतृत्व में हो रहे सकारात्मक बदलावों की बात करते हुए देश के इतिहास में राममन्दिर व धारा 370 के समाधान को महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि धारा 370 विगत सरकारों द्वारा इतिहास में परिस्थितियों के आकलन में बड़ी चूक थी। पांडिचेरी विश्वविद्यालय के कुलपति एडीआर गुरमित सिंह ने कोरोना संकट को ध्यान में रखते हुए कहा की हम अपने विज्ञान और परंपरागत मूल्यों का अनुसरण कर विश्व का नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं । वेबिनार के विशिष्ट वक्ता RSS कार्यकारिणी के अध्यक्ष श्री इंद्रेश कुमार जी ने पूरे विश्व को कोरोना संकट में डालने के लिए चीन पर निशाना साधते हुए अपने वक्तव्य की शुरूआत की । उन्होंने कहा की कोरोना वायरस प्राकृतिक नहीं बल्कि चीन के वुहान शहर की प्रयोगशाला में बनाया गया मानवनिर्मित वायरस है। साथ ही उन्होंने ‘रामजन्मभूमि- चिंतन से समाधान ‘ ई-पुस्तक का भी पदार्पण किया। कोरोना महामारी की भीषण त्रासदी में भारत के द्वारा उठाये गए कदमों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने अमेरिका, इटली और स्पेन जैसे विकसित और सामर्थ्यवान कहे जाने वाले देशों को अधिनायकवादी और शोषणवादी बताया जिन्होंने कोरोना के आगे घुटने टेक दिए उन्होंने कहा की विकास और सभ्यता के नए मापदंडों को तय करने जिम्मेदारी भारत की है क्योंकि भारतीय सभ्यता के जीवनमूल्य श्रेष्ठतम हैं। उन्होंने कोरोना योद्धाओं के योगदान को अभूतपूर्व बताया और कहा की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और गृहमंत्री अमित शाह जी के मजबूत नेतृत्व में विवादित अनुच्छेद 370 , 35ए के समाप्त हो जाने से भारत एक संविधान, एक कानून , एक नागरिकता, एक झंडा और एक राष्ट्र के नाम पर फलता-फूलता नजर आया। उन्होंने कहा भारत , भारतीय और भारतीयता हमारा संकल्प होना चाहिए। उन्होंने रामजन्मभूमि आंदोलन के विगत संघर्षों पर प्रकाश डाला व मंदिर निर्माण के मुद्दे का तुष्टीकरण करने व भ्रम फैलाने वाले वामपंथी इतिहासकारों पर भी निशाना साधा।
इसके उपरांत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक और सन् 1976 में पुरातत्वविद बीबी लाल के नेतृत्व में रामजन्मभूमि के अन्वेषण में टीम का अभिन्न सदस्य रह चुके केके मोहम्मद जी ने अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने रामजन्मभूमि के उत्खनन और अन्वेषण पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रकाश डाला व रामजन्मभूमि में मंदिर के अवशेषों को पाये जाने के विषय में अनेक साक्ष्य प्रस्तुत किए जिससे यह सिद्ध होता है कि संबंधित स्थान पर पहले भव्य मंदिर उपस्थित था। विशेषरूप से उन्होंने रामजन्मभूमि के मुद्दे में तीन मुख्य पुरातात्विक, एतिहासिक , सामाजिक और धार्मिक बिंदुओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राममंदिर के मुद्दे पर वामपंथी इतिहासकारों ने बहुत सी भ्रांतियाँ फैलायीं और विषय को सांप्रदायिक मोड़ देने का प्रयास किया।साथ ही केके मोहम्मद जी खुदायी के दौरान प्राप्त मंदिर के अवशेषों , मस्जिद के खंभों पर हिन्दुओं के पूजास्थलों से जुड़ा अष्टमंगल चिह्न , कलश की कलाकृतियाँ , और 260 से भी अधिक संख्या में मिले मंदिर के छोटे-बड़े अवशेषों के रूप में अनेक साक्ष्य प्रस्तुत किए जो रामजन्मभूमि में मंदिर की उपस्थिति सिद्ध करते हैं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्री राकेश कुमार उपाध्याय ने संवाद और शांतिपूर्ण तरीके से हुए राममंदिर के फैसले का हार्दिक अभिनन्दन करते हुए कहा कि आज अयोध्या का सत्य पूरे विश्व में प्रसारित हो गया है। रामजन्मभूमि के मुद्दे के हिन्दू-मुस्लिम तुष्टीकरण को उन्होंने मार्क्सवादियों का सुनियोजित षडयंत्र बताया और राममंदिर पर झूठी बातें फैलाने के लिए उन्हें जनता से माफी माँगने के लिए कहा।उन्होंने कहा की राममंदिर- निर्माण का फैसला भारत के विकास में एक बहुत निर्णायक मोड़ है। हाल ही में जन्मभूमि के समतलीकरण के दौरान मिले मंदिर के अवशेषों को तेरह सौ से दो हजार वर्ष प्राचीन बताते हुए उन्होंने कुछ विद्वानों द्वारा उनके बौद्ध अवशेष होने का खंडन भी किया। एनसीआरटी की पाठ्यपुस्तकों में पढ़ाये जा रहे झूठे इतिहास को पाठ्यक्रम से हटाये जाने व उनकी पुनर्रचना करने के सुझाव के साथ उन्होंने अपनी बात खत्म की। इसके अलावा पंजाबी सूफी कलाकार हंसराज हंस ने कहा कि भारत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। महिला मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्रीमती माधवी भूटा ने कहा की अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त करना पूरी तरह संविधान के दायरे में है। वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने बताया की देश को रोमिला थापर और इरफान हबीब जैसे वामपंथी इतिहासकारों ने गुमराह किया। वेबिनार में सभी उपस्थित वक्ताओं के बाद प्रश्नोत्तरी का सत्र हुआ जिसमें इच्छुक श्रोताओं ने संबंधित विषय में प्रश्न पूछे जिसका उत्तर पूर्व आइपीएस विक्रम सिंह , स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती , श्री इंद्रेश जी और अन्य वक्तागणों ने दिया। वेबिनार को सफल बनाने और सुनियोजित रूप से संचालित करने में NBF समूह के सभी सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।