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दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को आतंकवाद विरोधी कानून (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार जामिया समन्वय समिति की सदस्य सफूरा जरगर को जमानत दे दी है। सफूरा जरगर ने फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित एक मामले में जमानत की मांग की थी।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की एमफिल की छात्रा सफूरा जरगर चार महीने से अधिक समय की गर्भवती हैं। गुरुवार को जस्टिस राजीव शकधर ने पुलिस को नोटिस जारी किया था और उससे जमानत याचिका पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। मंगलवार को सुनवाई हुई और सफूरा को दिल्ली हाइकोर्ट द्वारा बेल दे दी गयी है।

इससे पहले लगातार दिल्ली पुलिस जेल में बंद सफूरा जरगर की जमानत का विरोध कर रही थी। दिल्ली पुलिस ने सफूरा को राष्ट्रीय सुरक्षा को संकट में डालने वाली बताया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि छात्र कार्यकर्ता की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ गई थी जिसके वजह से दिल्ली में हुए दंगे और भी भड़क गए थे। हालांकि दिल्ली पुलिस ने अपना ये बयान अदालत के उस आदेश के बाद दिया था जिसमें उसने जमानत याचिका पर पुलिस से स्टेट्स रिपोर्ट मांगी थी।