स्रोत : गूगल

कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक मंगलवार को हुई, जिसमें मुख्य रूप से भारत-चीन गतिरोध पर चर्चा की गई। बैठक के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चीन के साथ मौजूदा संकट के पीछे केंद्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया।

सरकार के कुप्रबंधन का नतीजा है ये

कांग्रेस कार्य समिति की इस वर्चुअल बैठक में कहां की “दुखद घटनाएं कभी अकेले नहीं आती।” भारत एक भयावह आर्थिक संकट, एक भयंकर महामारी और चीन के साथ सीमाओं पर एक बड़े संकट का सामना कर रहा है। भाजपा की अगुवाई वाली राजग सरकार का कुप्रबंधन और गलत नीतियां इन संकटों का एक प्रमुख कारक है। इनके सामूहिक प्रभाव से जहां व्यापक पीड़ा और भय का माहौल है जहां देश की सुरक्षा और भाग्य अखंडता पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
हमारे पहले भी आर्थिक संकट पर जहां गहन चर्चा की है। तब से यह आर्थिक संकट और भी गहरा गया है। मोदी सरकार हर सही सलाह को सुनने से इनकार करती है वक्त की मांग है कि बड़े पैमाने पर सरकारी खजाने की मदद से गरीबों के हाथों में सीधे पैसा पहुंचाना, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों की रक्षा करना और उनका पोषण करना और वह मांग को बढ़ाना व प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके बजाय,सरकार ने एक खोखले वित्तीय पैकेज की घोषणा की जिसमें सकल घरेलू उत्पाद का 1 प्रतिशत से कम की राजकोषीय प्रोत्साहन था।

वैश्विक बाजार में जब कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिर रहे हो, ऐसे समय में सरकार लगातार 17 दिनों तक निर्दयता पूर्वक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि करके देश के लोगों पर पहले से लगी चोट और उनके दर्द को गहरा किया है। नतीजा यह है कि भारत की गिरती अर्थव्यवस्था 42 वर्षों में पहली बार तेजी से मंदी की ओर से चल रही है। मुझे डर है कि बेरोजगारी और बढ़ेगी, देशवासियों की आय कम होगी, मजदूरी गिरेगी व निवेश और कम होगा। रिकवरी में लंबा समय लग सकता है, और वह भी तब, जब सरकार अपनी व्यवस्था को ठीक करें और ठोस आर्थिक नीतियों को अपनाएं।

रोजी-रोटी तबाह हो गई

भारत में महामारी फरवरी से आई। कांग्रेस ने सरकार को अपना पूरा समर्थन देते हुए लॉकडाउन 1.0 का समर्थन किया। शुरुआती हफ्तों के भीतर, यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार लॉकडाउन से होने वाली समस्याओं का प्रबंधन करने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। इसका परिणाम वर्ष 1947- 48 के बाद सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी के रूप में सामने आया। करोड़ों प्रवासी मजदूर, दैनिक वेतन भोगी और स्व -नियोजित कर्मचारियों की रोजी-रोटी तबाह हो गई। 13 करोड़ नौकरियों के खत्म हो जाने का अनुमान लगाया गया है करोड़ों छोटे में लघु एवं मध्यम उद्यम शायद हमेशा के लिए भाई हो गए हैं। प्रधानमंत्री,जिन्होंने सारी शक्तियों और सभी प्राधिकर को अपने हाथों में केंद्रित कर लिया था, उनके आश्वासन के विपरीत महामारी लगातार बढ़ रही है। स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में गंभीर कमियां उजागर हुई है। महामारी शायद अभी भी सबसे ऊंचे पायदान पर नहीं पहुंची है। केंद्रीय ने अपनी सारी जिम्मेदारियों राज्य सरकारों पर डाल पल्ला झाड़ लिया, उन्हें कोई अतिरिक्त वित्तीय सहायता नहीं दी गई है। वास्तव में, लोगों को यथासंभव अपनी स्वयं की रक्षा करने के लिए उनके हाल पर छोड़ दिया है। महामारी के कुप्रबंधन को मोदी सरकार की सबसे विनाशकारी विफलताओं में से एक के रूप में दर्ज किया जाएगा। मैं पार्टी के अपने सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देना चाहती हूं, अलग-अलग राज्यों में अपने जोखिम पर प्रवासी और अन्य प्रभावित लोगों को सहायता और मदद के लिए आगे आए।

प्रधानमंत्री के बयान में पूरे देश को झकझोर दिया

चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब हमारे सामने बड़े संकट की स्थिति है इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि अप्रैल-मई 2020 से लेकर अब तक चीनी सेना ने पेंगोंग त्सो झील और गलवान घाटी, लद्दाख में हमारी सीमा में घुसपैठ की है। अपने चरित्र के अनुरूप, सरकार सच्चाई से मुंह मोड़ रही है। क्रिकेट की खबरें और जानकारी 5, मई 2020 को आई। समाधान के बजाय, स्थिति तेजी से बिगड़ती गई और 15- 16 जून को हिंसक झड़पें हुई। 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए, 85 घायल हुए और 10 लापता हो गए जब तक कि उन्हें वापस नहीं किया गया। प्रधानमंत्री के बयान में पूरे देश को झकझोर दिया जब उन्होंने कहा कि “किसी ने भी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की।”राष्ट्रीय सुरक्षा और भूभागीय अखंडता के मामलों पर पूरा राष्ट्र हमेशा एक साथ खड़ा है। और इस बार भी, किसी दूसरे की राय का प्रश्न ही पैदा नहीं होता। कांग्रेस पार्टी ने सबसे पहले आगे बढ़कर हमारी सेना और सरकार को अपना पूरा समर्थन देने की घोषणा की। हालांकि, लोगों में यह भावना है कि सरकार स्थिति को संभालने में गंभीर रूप से असफल हुई है। भविष्य का निर्णय आगे आने वाला समय करेगा लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि हमारी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सरकार के द्वारा उठाए जाने वाले हर कदम परिपक्व कूटनीति व मजबूत नेतृत्व की भावना से निर्देशित होंगे। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि अमन,शांति और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पहले जैसी यथास्थिति की बहाली हमारी राष्ट्रीय गीत में एकमात्र मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए। हम स्थिति पर लगातार नजर बनाए रखें।