श्रीनाथप्रन्नाचार्य


श्री कृष्ण का चमत्कारिक मंत्र जो आपको दिलाएगा हर परेशानी से मुक्ति

भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि 12 अगस्त को है, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है, हिन्‍दू पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी कि आठवें दिन मनाई जाती है, ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी हर साल अगस्‍त या सितंबर महीने में आती है, तिथि के हिसाब से जन्‍माष्‍टमी 12 अगस्‍त को मनाई जाएगी तो वहीं कुछ स्थानों पर जन्माष्टमी का पर्व 11 व 13 अगस्त को भी मनाया जाएगा लेकिन मथुरा में जन्मोत्सव का पर्व 12 अगस्त को ही मनाया जाएगा। {जिन कन्याओ का विवाह नही हो रहा है या विलम्ब हो रहा है या योग्य वर की प्राप्ति नही हो रही तो करें यह चमात्कारिक जाप जन्माष्टमी के शुभअवसर पर करें यह जाप!! ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीस्वरि ।

नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः ।। नियम शुध्द होकर भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा सामने रखकर करें जाप

जन्‍माष्‍टमी : तिथि और शुभ मुहूर्त

अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 11 अगस्‍त से 9 बजकर 07 मिनट से लगेगी।

अष्टमी अष्‍टमी तिथि समाप्‍त: 12 अगस्त को 11 बजकर 17 मिनट तक।

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 13 अगस्त को सुबह 03 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 22 मिनट तक रहेगा
12 अगस्त को पूजा का शुभ समय रात 12 बजकर 5 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है।
पूजा की अवधि 43 मिनट तक रहेगी।

इस मंत्र से कीजिए पूजा

ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।
देहि मे तनयं कृष्णं त्वामहं शरणं गत: ।।

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा इन मंत्रों से करने से इंसान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, लोगों को खुशी और सुख प्राप्त होता है, जिनको धन की कमी हैं उन्हें धन, जिन्हें प्रेम की कमी है उन्हें प्यार और जिन्हें संतान का सुख नहीं मिला है उन्हें संतान प्राप्ति होती है।


चार खास संयोग में

12 अगस्त को मनाना श्रेष्ठ 12 अगस्त को चार विशेष संयोग बन रहे हैं। सर्वार्थसिद्धि योग, वृषभ का चंद्रमा, बुधवार का दिन और सूर्य उदय की अष्टमी। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय ये चार संयोग थे। इसके अलावा एक और संयोग नक्षत्र का था। भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस बार यह नक्षत्र दोनों ही दिन नहीं आ रहा है। लेकिन चार संयोगों का होना इस बात की पुष्टि करता है कि जन्माष्टमी 12 अगस्त को मनाना ही श्रेष्ठ और शास्त्र सम्मत है। हालांकि स्मार्त मत को मानने वाले लोग 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे और वैष्णव मत को मानने वाले 12 अगस्त को मनाएंगे। वैसे उदय तिथि के अनुसार व्रत-त्योहार मनाना शास्त्र सम्मत माना जाता है और उदय तिथि अष्टमी 12 को ही है।

(लेखक अयोध्या के ज्योतिष हैं।)

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