कुंदन कुमार
कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते लगभग दो महीने से ज्यादा देशव्यापी लाॅकडाउन ने उद्योग धंधो को चौपट करके रख दिया है। लाॅकडाउन का लोगों की रोजी रोटी पर भी असर पड़ा हैं। असंगठित क्षेत्र में लाखों लोगों की नौकरी चली गयी हैं। लाॅकडाउन ने शिक्षा को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। मार्च महीनें के दूसरे सप्ताह से ही स्कूल,काॅलेज,विश्वविद्यालय तथा निजी शिक्षण संस्थानों में ताला लटका हुआ है। प्रवासी मजदूरों की व्यथा से तो पूरा देश रु-ब-रु हुआ, परंतु प्रवासी छात्रों की सुध किसी ने नहीं लीं। लाॅकडाउन की वजह से जब स्कूल,कालेज,विश्वविद्यालय तथा कोचिंग संस्थान बंद हो गये तो प्रवासी छात्रों को भी अपने घर वापस जाना पड़ा। घर से दूर दूसरे प्रदेशों में बाहर किराये के रुम में रहने वाले छात्रों को स्कूल,काॅलेज तथा कोचिंग संस्थानों में मोटी रकम देने के बाद रुम का किराया भी भरना पड़ता है।
बीएचयू में स्नातक प्रथम वर्ष में डेलिगेसी छात्र निशांत ने बताया कि वो पिछले 3 महीनें से घर पर ही बैठा है। अभी कितने दिन और बैठना पड़ेगा निश्चित रुप से कुछ नहीं कहा जा सकता। निशांत ने आगे बताया कि रुम मालिक का फोन आया था। रुम मालिक रुम का किराया मांग रहा है। बगैर रुम में रहे रुम किराया देना जाहिर है, हर किसी को अखरेगा। निशांत को भी अखर रहा है। रुआंसे स्वर में बोलते हुए वह आगे बताता है कि अब 4 महीनें के 12,000 रुपये का व्यवस्था वह कहाँ से करेगा? उसके पापा किसान हैं और लाकडाउन की वजह से आय का स्त्रोत भी कुछ नहीं है।
बीएचयू के राजनीति विज्ञान विभाग के MA प्रथम वर्ष के छात्र अनुराग ने बताया कि रुम मालिक उससे किराया वसूलने आया था। अनुराग ने जब बताया कि सरकार ने तो 3 महीनें का किराया नहीं लेने का अनुरोध किया है,फिर उससे किराया क्यों मांगा जा रहा है? इसपर रुम मालिक ने कहा कि मेरे आय का जरिया मेरा मकान ही है। अगर हम किराया नहीं लेंगे तो फिर हमारी रोजी-रोटी कैसे चलेगी? अनुराग ने किराया देने में खुद को असमर्थ बताया तो उसे रुम खाली कर देने को कहा गया।
पटना में समान्य प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाली अक्षरा कहती है कि घर पर रहते हुए भी उसे रुम का किराया देना पड़ रहा है। अक्षरा बताती है कि अगर वह किराया नहीं देगी तो उसके रुम का सारा सामान जब्त कर लिया जाएगा और उसे रुम से भी निकाल दिया जाएगा ।
दिल्ली का भी वही हाल है। मुखर्जी नगर में सिविल सेवा की तैयारी करने वाली सुमन भी घर पर बैठकर रुम का किराया देने को विवश है।
सरकार को प्रवासी छात्रों की समस्या पर गंभीरता से विचार करना होगा। जब सरकार ने छात्रों से किराया नहीं लेने का निर्देश दिया है। उसके बाद भी छात्रों को किराया देने के लिए मजबूर क्यों किया जा रहा है?
(लेखक BHU, वाराणसी के छात्र हैं)
Bahut achha issue rais kiya hai apne aur lagta hai aage bhi krte rhenge