मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भोपाल की राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा आयोजित हिन्दी के सबसे बड़े महोत्सव तूर्यनाद’20 का आयोजन 14 सितंबर से 26 सितंबर तक किया जा रहा है । कार्यक्रम के सातवें दिन दोपहर 1 बजे संस्था के हिन्दीतर भाषी विद्यार्थियों के लिए खिचड़ी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ एवम् सायं 5 बजे अतिथि व्याख्यान में आईएएस निशांत जैन जी तथा आईएएस प्रदीप द्विवेदी जी अतिथि वक्ता के रूप में जुड़े।
खिचड़ी प्रतियोगिता
हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हिन्दीतर भाषियों के मध्य हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने के उद्देश्य से खिचड़ी प्रतियोगिता का आयोजन करवाया गया। प्रतियोगिता ऑनलाइन माध्यम से दो चरणों में संपन्न हुई। प्रथम चरण में प्रतिभागियों को अणुडाक के माध्यम से दिए गए विषय पर हिन्दी में ऑडियो भेजना था। चयनित विद्यार्थियों को अंतिम चरण में प्रवेश दिया गया जिसमें उनका चित्र देखकर हिन्दी नाम बताना, आपस में हिन्दी में वार्तालाप, पहेलियां बुझाना जैसी गतिविधियों के आधार पर आकलन किया गया। प्रतियोगिता की कुल पुरस्कार राशि ₹6000 थी।
प्रतियोगिता के परिणाम कुछ इस प्रकार रहे :
प्रथम- मीनावल्ली रम्या
द्वितीया – वी श्री नेहा
तृतीय – ए नंदिनी प्रिया
अतिथि व्याख्यान
रविवार सायं 5 बजे लेखक एवम् वरिष्ठ आईएएस अधिकारी निशांत जैन जी एवम् मैनिट के विद्युत अभियांत्रिकी के पूर्व छात्र आईएएस प्रदीप द्विवेदी जी अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित रहे।
“हिन्दी में रोजगार के अवसर” विषय पर छात्रों को मार्गदर्शित करते हुए श्री निशांत जैन जी ने निम्न क्षेत्रों में रोजगार पर प्रकाश डाला:-
मीडिया क्षेत्र – हिंदी मीडिया के लगातार विस्तार के कारण प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वेब मीडिया सहित सोशल मीडिया के क्षेत्र में हिन्दी में रोजगार के अवसर निरंतर बढ़ रहे है।
सिनेमा क्षेत्र – वर्तमान में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कई नई वेब सीरीज प्रचलित हो रही है एवम् लोगों द्वारा पसंद की जा रही है। सिनेमा के क्षेत्र में स्क्रिप्ट लेखन, डायलॉग लेखन एवम् लिरिक्स लेखन कर हिन्दी में रोजगार के अवसर पाए जा सकते है।
विज्ञापन क्षेत्र – भारत के अधिकतर लोग हिंदी में किए गए विज्ञापनों से ज्यादा जुड़ पाते हैं। विद्यार्थी इस क्षेत्र में भी अच्छे भविष्य की उम्मीद कर सकते हैं।
अध्यापन एवम् शोध – हिंदी विषय के साथ आप किसी भी विद्यालय-महाविद्यालय में अध्यापन का कार्य भी कर सकते हैं।
लेखन क्षेत्र – आजकल बहुत सारे उभरते हुए लेखकों की हिंदी पुस्तकें काफी पसंद की जा रही है। यह क्षेत्र भी सुनहरी संभावनाओं का क्षेत्र है।
अनुवाद का क्षेत्र – आज की जरूरत है कि हम हिंदी में उपलब्ध ज्ञान को दूसरी भाषाओं और दूसरी भाषाओं में उपलब्ध ज्ञान को हिंदी भाषा में अनुवाद करें। इस क्षेत्र में सरकारी सहित गैर सरकारी क्षेत्र में भी अनेक संभावनाएं हैं।
प्रशासनिक सेवा – हिंदी का मुख्य विषय के रूप में चयन कर प्रशासनिक सेवा में भी भविष्य बनाया जा सकता हैं।
हिंदी रोजगार की भाषा नहीं बनने के कारण पर संबोधित करते हुए श्री प्रदीप द्विवेदी जी कहते हैं कि यह तभी संभव होगा जब हम इंजीनियरिंग, मेडिकल जैसे रोज़गारपरक विषयों की किताबें सरल हिंदी में उपलब्ध कराई जाएंगी। जो लोग इन क्षेत्र में आगे बढ़े हैं, वे इन किताबों का हिंदी में अनुवाद करें, तभी हम हिंदी को रोजगार की भाषा बनाने में सफल होंगे। हिंदी के साथ ही हमें भारत की अन्य भाषाओं को बढ़ावा देने का कार्य भी करना चाहिए।
सिविल परीक्षाओं में हिंदी भाषा में चयन के कम अनुपात की मुख्य वजह बताते हुए निशांत जी कहते हैं कि हमारा तंत्र हिंदी को लेकर हीन भावना का शिकार है। साथ ही साक्षात्कार में विद्यार्थी जिन परिस्थितियों से गुजरा है उसे ध्यान में रखकर मूल्यांकन करना चाहिए।
नई हिंदी पर निशांत जी अपने विचार रखते हुए कहते है कि नयी हिंदी ने अवश्य ही नई पीढ़ी को फिर से हिंदी से जोड़ने का कार्य किया है लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इस वजह से हमारी भाषा के सुंदर शब्द लुप्त ना हो जाएँ, मूल भाषा ही न बदल जाए।
अंत में समिति के संस्थापक सदस्य श्री अनुग्रह नगाइच जी ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने के लिए दोनों वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।
सोमवार के कार्यक्रम
सोमवार को दोपहर 1 बजे बहुप्रतीक्षित प्रतियोगिता “पुस्तक समीक्षा” का आयोजन करवाया जाएगा एवम् सायं 5 बजे कविता कोश एवम् गद्य कोश के संस्थापक श्री ललित कुमार जी अतिथि वक्ता के रूप में जुड़ेंगे।