महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र में राजनितिक गतिरोध समाप्त होता दिखाई पड़ रहा है। शुक्रवार को महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने बैठक कर प्रदेश की 9 विधान परिषद की सीटों पर 21 मई को चुनाव कराने का एलान कर दिया। इसके साथ ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विधायक बनने का रास्ता साफ हो गया। अगर चुनाव नहीं होते तो उद्धव ठाकरे को 24 मई के बाद इस्तीफा देना पड़ता।

क्या है पूरा मामला

संविधान की नियमावली के अनुसार मुख्यमंत्री को शपथ के 6 महीनों के अन्दर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य होना अनिवार्य है। इस समय उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के किसी भी सदन के सदस्य नहीं है।
कोरोना के कारण महाराष्ट्र की खाली 9 सीटों पर चुनाव टाल दिया गया था। इसी दौरान महाराष्ट्र कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित कर उद्धव ठाकरे को राज्यपाल से मनोनीत करने का अनुरोध किया था। लेकिन राज्यपाल ने कैबिनेट की इस सिफारिश को यह कहते हुए मना कर दिया कि यह संविधान के नियमों के खिलाफ है क्योंकि मनोनयन की खाली सीटों का कार्यकाल 9 जून को समाप्त हो रहा है। ऐसे संविधान इसकी अनुमति नहीं देता। जिसके बाद से ही महाराष्ट्र मे राजनितिक संकट गहराता चला गया।

गुरुवार को ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री को फोन करके सारे मामले से अवगत कराया। जिसके बाद से ही उम्मीद जताई जा रही थी कि प्रधानमंत्री के हस्ताक्षेप के बाद महाराष्ट्र का राजनीतिक संकट समाप्त हो सकता है।

गुरूवार को राज्यपाल ने महाराष्ट्र चुनाव आयोग से विधान परिषद की खाली सीटों पर चुनाव करने का आग्रह किया था जिसे चुनाव आयोग ने मान लिया है।

शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट करते हुए केन्द्र सरकार और महाराष्ट्र चुनाव आयोग को धन्यवाद कहा। उन्होंने लिखा ‘अनिश्चितता का जो माहौल खड़ा हुआ था वो खत्म हो जाएगा।’

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