प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर की जन्म जयन्ती पर ट्वीट कर उनको याद किया। इस ट्वीट में प्रधानमंत्री ने अपना एक विडियो क्लिप भी साझा किया जिसमें वो सावरकर के व्यक्तित्व की चर्चा कर रहें हैं।
प्रधानमंत्री ने जो विडियो साझा किया है उसमें उन्होंने कहा,“यह वीर सावरकर जी ही थे जिन्होंने निर्भीक होकर लिखा। 1857 में जो कुछ भी हुआ वह विद्रोह नहीं था आजादी की पहली लड़ाई थी। यह अद्भुत संयोग है कि जिस महीने में स्वतंत्रता का पहला संग्राम लड़ा गया उसी महीने में सावरकर जी का जन्म हुआ। वे एक ओजस्वी कवि और समाज सुधारक भी थे। जिन्होंने हमेशा सद्भावना और एकता पर बल दिया।”
On his Jayanti, I bow to the courageous Veer Savarkar. We remember him for his bravery, motivating several others to join the freedom struggle and emphasis on social reform. pic.twitter.com/o83mXmgp1S
— Narendra Modi (@narendramodi) May 28, 2020
प्रधानमंत्री के अलावा गृहमंत्री अमित शाह ने भी ट्विटर पर सावरकर को याद करते हुए लिखा “अपनी अभिजात देशभक्ति से वीर सावरकर बस एक नाम भर नहीं रहा वह राष्ट्रभक्ति का एक मंत्र, एक विचार बन गया है।भारत की अखंडता के प्रबल पक्षधर वीर सावरकर का महामंत्र था एक राष्ट्र-एक संस्कृति भाव। देश की स्वतंत्रता के लिए उनका संघर्ष व राष्ट्रप्रेम हर भारतीय के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
वीर सावरकर ने भारत की स्वतंत्रता के लिए अनेकों यातनायें सहीं। देश के लिए इतने कष्ट सहने वाला विश्व में सावरकर जैसा शायद ही कोई हो। उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी और मंदिरों में दलित समाज के प्रवेश के लिए संघर्ष किया। ऐसे महान राष्ट्रभक्त के चरणों में कोटि-कोटि नमन।”
अपनी अभिजात देशभक्ति से वीर सावरकर बस एक नाम भर नहीं रहा वह राष्ट्रभक्ति का एक मंत्र, एक विचार बन गया है।
भारत की अखंडता के प्रबल पक्षधर वीर सावरकर का महामंत्र था एक राष्ट्र-एक संस्कृति भाव। देश की स्वतंत्रता के लिए उनका संघर्ष व राष्ट्रप्रेम हर भारतीय के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
— Amit Shah (@AmitShah) May 28, 2020
कौन हैं विनायक दामोदर सावरकर
विनायक दामोदर सावरकर का जन्म नासिक जिले के भागुर ग्राम में 28 मई 1883 को हुआ था। फर्ग्युसन कालेज से कला वर्ग में पढ़ाई किया ,उसके बाद ला की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए।
नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक षडयंत्र काण्ड के अन्तर्गत इन्हें 7 अप्रैल 1911 को काला पानी की सजा पर सेलुलर जेल भेजा गया। 1937 में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चुने गए। जिसके बाद वो सात वर्षों के लिए पुनः अध्यक्ष चुने गए। 1938 को हिन्दू महासभा को एक राजनीतिक दल के रूप में घोषित कर दिया गया।