स्वच्छ खाएंगे, स्वस्थ रहेंगे, स्वस्थ जियेंगे।
यह शब्द किसी भी मानव, जीव- जंतु सभी के लिए बहुत जरूरी है। खाद्य सुरक्षा एक बहुत जरूरी विषय है इसी पहल के साथ 7 जून, 2019 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाद्य सुरक्षा दिवस मनाने की शुरुआत हुई।
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि खाद्य मानकों को बनाए रखने के लिए जागरूकता पैदा करना और खाद जनित बीमारियों के कारण होने वाली मौतों को कम करना है। संयुक्त राष्ट्र ने अपने दो एजेंसियों खाद्य और कृषि संगठन तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन को दुनिया भर में खाद सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए नामित किया है।
भुखमरी का खतरा 2020
जहां एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना वायरस की महामारी को झेल रही है जिसके कारण सभी देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है उसी के साथ पूरी दुनिया में एक और खतरा आ रहा है जो भुखमरी का खतरा है। विश्व खाद्य कार्यक्रम के प्रमुख डेविल विस्ले ने चिंता जताई है कि “भुखमरी के संकट के लिए दुनिया भर की सरकारों को तैयार रहने की जरूरत है। एक अनुमान लगाया गया है कि पूरी दुनिया में 25 करोड़ लोग और भुखमरी का शिकार हो सकते हैं, जो किसी भी हालत में विश्व के लिए ठीक नहीं है।”
इन शब्दों से साफ जाहिर होता है कि सुरक्षित खाना तो दूर की बात है उनको पेट भरने के लिए भी खाना नसीब होना मुश्किल होने वाला है। आने वाले समय में स्थिति और भयावह होने वाली है।
विश्व खाद्य कार्यक्रम को विकसित देश धन मुहैया कराते हैं परंतु इस समय विकसित देशों की भी हालत चरमरा गई है इसलिए यह चिंता और बढ़ती नजर आ रही है विश्व खाद्य कार्यक्रम का कहना है कि अमेरिका, जर्मनी, इटली, फ्रांस आदि इस समय कोविड-19 को सबसे बड़े स्तर पर खेल रहे हैं जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि विश्व खाद्य सुरक्षा की मुश्किलें बढ़ने वाली है पर यही वह देश है जो धन मुहैया कराते हैं।
विश्व खाद्य सुरक्षा (WFP) 10 करोड़ को प्रत्येक दिन भोजन मुहैया कराता है और 3 करोड़ लोग पूरी तरह से इसी कार्यक्रम पर निर्भर है। परंतु तत्कालीन परिस्थिति को देखते हुए डब्ल्यूएफपी अपने हाथ खड़े करते हुए नजर आ रहा है।
भारत की हालत
भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है 2 महीने से भी ज्यादा भारत पूरी तरह से बंद था सभी क्षेत्रों में बेरोजगारी की स्थिति चरम सीमा पर पहुंच चुकी है। जिसके कारण लोग शहरों से गांव की तरफ पलायन करने लगे लोगों के जुबान से यही शब्द सुनने को मिला की कोरोना वायरस की महामारी से हम बाद में मरेंगे लेकिन भुखमरी से पहले मर जाएंगे ! इन शब्दों से साफ जाहिर होता है कि भारत की मौजूदा स्थिति कितनी खतरनाक है सुरक्षित खाद तो दूर की बात है उनको दो टाइम की रोटी तक नहीं मुहैया करा पा रही सरकार। बीते दिनों में कई खबरें ऐसी निकल कर आई सामने जिसमें खाना ना मिलने की वजह से लोगों ने अपना दम तोड़ दिया। कितने लोगों की सड़क पर चलते चलते भूख के कारण जान चली गई तो कहीं अपने परिवार का पेट ना भर पाने के कारण लोगों ने आत्महत्या कर ली।
वही बात करते हैं विश्व में भारत की स्थिति क्या है तो दुनिया के कुल भूखे लोगों का 23 प्रतिशत आंकड़ा भारत का है। भारत में 20 करोड़ लोग भूखे सोते हैं। वही भुखमरी के सुशांत में 117 में से 102 नंबर पर भारत है और इस महामारी के दौर में यह आंकड़ा और भयावह कर देने वाला है।
मानक प्रमाण चिन्ह
इस दिन को मनाने के पीछे लोगों को मानक प्रमाण चिन्ह से भी लोगों को जागरूक कराना है अधिकतर मानक प्रमाण चिन्ह (एगमार्क, एफपीओ, आईएसआई, हॉलमार्क) अंकित सामग्री खरीदें तथा खरीदे जाने वाली सामग्री के गुणों, रंग, शुद्धता आदि की समुचित जानकारी रखें। दुकानदारों व सत्यापित कम्पनियों का सामान लें तथा जहां तक हो सके पैकेज्ड सामान का उपयोग करते समय कम्पनी का नाम व पता, खाद्य पैकिंग व समाप्ति की तिथि, सामान का वजन, गुणवत्ता लेबल का अवश्य ध्यान रखें क्योंकि स्वस्थ और निरोगी जीवन ही सफलता की कुंजी है। कोरोना काल में वैसे भी हमें और ज्यादा जागरूक बनने की जरूरत है। महामारियों से लड़ने के लिए शरीर का तंदरूस्त और मजबूत होना कितना जरूरी है ये हमने बखूबी जान लिया है, इसके लिए खाद्य सुरक्षा अब और भी ज्यादा जरूरी हो गई है।
खाद सुरक्षा के मुख्य उद्देश्य
सरकारों को सभी के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित कराना चाहिए।
कृषि और खाद्य उत्पादन में अच्छी प्रथाओं और चलन को अपनाया जाए।
व्यापारी यह सुनिश्चित करें कि खाद्य पदार्थ सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण हों।
लोगों को सुरक्षित, स्वस्थ और पौष्टिक भोजन प्राप्त करने का अधिकार है।
इस बारे में आम उपभोक्ताओं को भी उचित जानकारी दी जानी चाहिए।