अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की आंदोलन की चेतावनी के पश्चात विद्यापीठ में गत वर्ष बढ़े हुए परीक्षा शुल्क को 6 तारीख में जारी आदेश से वापस ले लिया गया था परन्तु कल 10 तारीख को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा जारी आदेश में स्नातक,परास्नातक एवं व्यवसायिक कोर्स की फीस का निर्धारण करने वाला आदेश जारी किया गया था जिसमे स्नातक- 1000, परास्नातक – 1200, एवं व्यावसायिक कोर्स पे 1500 शुल्क तय किया गया था। यह फीस पूर्व सत्र 2018-19 में लगी फीस से ज्यादा थी।जिसका विरोध करने फिर एक बार विद्यार्थी परिषद का प्रतिनिधिमंडल सुबह ही पहुंच गया।
रजिस्टार साहबलाल मौर्य जी से विद्यार्थी परिषद के प्रतिनिधिमंडल ने पूर्व के अभिलेखों को प्रस्तुत करते हुए अपना विरोध जताया की पूर्व में लिया गया परीक्षा शुल्क इससे भी कम था। इसपर तत्काल संज्ञान लेते हुए रजिस्टार ने पुराने आदेश को देखा एवं तुरंत नया आदेश आज फिर जारी किया और विद्यार्थी परिषद के लगातार छात्र हित हेतु सक्रिय प्रयासों की भूरी भूरी प्रशंसा की। जिसपर कुलसचिव एवं कुलपति जी का विद्यार्थी परिषद ने फिर से धन्यवाद किया।
इसपर महानगर मंत्री कुँवर ज्ञानेंद्र ने बताया कि “10 तारीख को जारी किया आदेश छात्रों के साथ और उनकी आवाज बुलंद कर रही विद्यार्थी परिषद के साथ छलावा था।क्योंकि जब 6 तारीख को जारी आदेश में ये कहा जा चुका था कि फीस वृद्धि स्थागित की जाती है उसके बाद 10 तारीख को जारी आदेश में भी फीस वृद्धि स्पष्ट थी जिसमे स्नातक में 100 रुपये एवं परास्नातक में 200 रुपये अधिक बढ़ा हुआ था।आज कुलसचिव जी से इसपर प्रतिनिधिमंडल ने विरोध जताया जिसको संज्ञान में लेते हुए उन्होंने नया आदेश फिर आज जारी किया गया है जिसमे अपनी वृद्धि को अंततः आज कम कर दिया गया है।”
प्रतिनिधिमंडल में प्रमुख रूप से महानगर मंत्री कुवँर ज्ञानेंद्र,अश्वनी जैसवाल (महानगर सह-मंत्री),कुंदन मिश्रा (विद्यापीठ इकाई सह-मंत्री),गौरव मालवीय (विद्यापीठ इकाई उपाध्यक्ष),यश दुबे,गौरव राय एवं अभिषेक आदि उपस्तिथ रहे।