कोरोना माहमारी के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योग जगत के लोगों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (ICC) के 95 वें सालाना कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने 95 सालों तक ICC द्वारा देश की निरतंर सेवा करने के लिए आभार प्रकट किया।

उन्होंने अपने शुरुआती भाषण में कहा कि कोरोना वायरस से पूरी दुनिया लड़ रही है, भारत भी लड़ रहा है, लेकिन अन्य तरह के संकट भी निरंतर खड़े हो रहे हैं। कहीं बाढ़ की चुनौती, कहीं लॉकस्ट, ‘पोंगोपा’ का कहर, कहीं ओलावृष्टि, कहीं ऑयल फील्ड में आग, कहीं छोटे-छोटे भूकंप, ये भी कम ही होता है कि पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र में एक के बाद एक, दो साइक्लोन चुनौती बनकर आएं।

प्रधानमंत्री ने अपने पूरे भाषण में आत्म निर्भर भारत पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि आत्म निर्भर भारत अभियान का सीधा सा मतलब है कि भारत, दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम से कम करें। हर वो चीज, जिसे आयात करने के लिए देश मजबूर हैं,वो भारत में ही कैसे बने, भविष्य में उन्हीं उत्पाद का भारत निर्यातक कैसे बने,इस दिशा में हमें और तेजी से काम करना है।

उन्होंने कहा कि करोड़ों देशवासियों के प्रयासों में देख सकता हूं। कोरोना का संकट पूरी दुनिया में बना हुआ है। पूरी दुनिया इससे लड़ रही है। कॉरोना वॉरियर्स के साथ हमारा देश इससे लड़ रहा है। लेकिन इन सबके बीच हर देशवासी अब इस संकल्प से भी भरा हुआ है कि इस आपदा को अवसर में परिवर्तित करना है, इसे हमें देश का बहुत बड़ा टर्निंग पॉइंट भी बनाना है। ये टर्निंग पॉइंट क्या है? आत्म निर्भर भारत।

लेकिन फिर भी एक बड़ा काश, एक बड़ा काश, हर भारतीय के मन में रहा है, मस्तिष्क में रहा है। काश हम स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते! काश हम रक्षा उत्पाद बनाने में आत्मनिर्भर होते! काश हम कोयला और मिनरल्स सेक्टर में आत्मनिर्भर होते! काश हम तेल में, फर्टिलाइजर्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते! काश हम विघुत उत्पाद में आत्मनिर्भर होते! काश हम सोलर पैनल, बैटरी और में आत्मनिर्भर होते। काश हम उड्डयन क्षेत्र में आत्मनिर्भर होते! ऐसे कितने सारे काश, अनगिनत काश, हमेशा से हर भारतीय को झकझोरते रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कोरोना क्राइसिस में आत्मनिर्भर भारत अभियान पर जोर देते हुए कहा कि ये एक बहुत बड़ी वजह रही है कि बीते 5-6 वर्षों में, देश की नीति और रीति में भारत की आत्मनिर्भरता का लक्ष्य सर्वोपरि रहा है। अब कोरोना क्राइसिस ने हमें इसकी गति और तेज करने का सबक दिया है। इसी सबक से निकला है- आत्मनिर्भर भारत अभियान।

प्रधानमंत्री ने उद्योग जगत के लोगों को प्रतोसाहित करते हुए कहा कि
मन के हारे हार, मन के जीते जीत, यानि हमारी संकल्पशक्ति, हमारी इच्छाशक्तिही हमारा आगे का मार्ग तय करती है। जो पहले ही हार मान लेता है उसके सामने नए अवसर कम ही आते हैं। लेकिन जो जीत के लिए निरंतर प्रयास करता है। एक दूसरे का साथ देते हुए, आगे बढ़ता है, उसके सामने नए अवसर भी उतने ही ज्यादा आते हैं।

प्रधानमंत्री ने MSME सेक्टर पर जोर देते हुए कहा कि सरकार ने MSME की परिभाषा बदली है, उद्योगों की मदद के लिए हज़ारो करोड़ों रुपए के स्पेशल फंड्स की व्यवस्था की गई है। आईबीसी से जुड़ा फैसला हो, छोटी-छोटी गलतियों को डी-क्रिमनलाइज़ करने का फैसला हो,निवेश की फ़ास्ट ट्रैकिंग के लिए प्रोजेक्ट डिवेलपमेंट सेल्स का गठन हो, ऐसे अनेक कार्य पहले ही हो चुके हैं। अब तमाम सेक्टर्स, खासकर कोयला और खनन के सेक्टर को अधिक प्रतियोगी बनाने के लिए, जो रिफॉर्म्स अनाउंस हुए हैं, उसका भरपूर फायदा उठाने के लिए उद्योग जगत आगे आए, युवा साथी आगे आएं।

उन्होंने छोटे व्यापारियों को प्रतोसाहित करते हुए कहा कि हम इन छोटे-छोटे व्यापार करने वाले लोगों से केवल चीज ही नहीं खरीदते, पैसे ही नहीं देते, उनके परिश्रम को पुरुस्कृत करते हैं, मान-सम्मान बढ़ाते हैं। हमें इस बात का अंदाजा भी नहीं होता कि इससे उनके दिल पर कितना प्रभाव पड़ता है, वो कितना गर्व महसूस करते हैं।

प्रधानमंत्री ने हाल में केंद्र सरकार के तरफ से किसानों के लिए की गई घोषणाओं का जिक्र किए। उन्होंने कहा कि किसानों को एग्रीकल्चर इकोनॉमी को बरसों की गुलामी से मुक्त कर दिया है। अब भारत के किसानों को अपने उत्पाद,अपनी उपज देश में कहीं पर भी बेचने की आज़ादी मिल गई है। APMC एक्ट, Essential Commodities Act में जो संशोधन किए गए हैं, किसानों और उद्यमियों के बीच पार्टनरशिप का जो रास्ता खोला गया है, उससे किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का कायाकल्प होना तय है। इन फैसलों ने किसान को एक प्रोड्यूसर के रूप में और उसकी उपज को एक उत्पाद के रुप में पहचान दी है।

प्रधानमंत्री ने लोकल के लिए वोकल पर जोर देते हुए कहा कि लोकल उत्पाद के लिए जिस क्लस्टर बेस्ड अप्रोच को अब भारत में बढ़ावा दिया जा रहा है, उसमें भी सभी के लिए अवसर ही अवसर है।

जंगल में अपार संपदा जुटाने वाले आदिवासी साथियों को उनके क्षेत्र में ही आधुनिक प्रद्योगिकी यूनिट्स उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही Bamboo और Organic Products के लिए भी क्लस्टर्स बनेंगे। सिक्किम की तरह पूरा नॉर्थ ईस्ट, ऑर्गैनिक खेती के लिए बहुत बड़ा हब बन सकता है। ऑर्गैनिक कैपिटल बन सकता है।

प्रधानमंत्री ने उद्यमियों से आग्रह किया कि आपके प्रत्येक सदस्य के लिए बेहतरीन समय है एक बड़ा संकल्प लेने का। मेरा आपसे आग्रह है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान को चरितार्थ करने के लिए ICC भी अपने स्तर पर 50-100 नए लक्ष्य तय करें। ये लक्ष्य संस्था के भी हों, इससे जुड़े हर उद्योग और व्यापारिक इकाई के भी हों और हर व्यक्ति के भी हों। आप जितना अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ेंगे, उतना ही ये अभियान पूर्वी भारत में,नॉर्थ ईस्ट में आगे बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री ने उद्यमियों से कहा कि पीपल, प्लेनेट और प्रॉफिट एक दूसरे से संबंधित हैं। ये तीनों एक साथ पनप सकते हैं। मैं, आपको कुछ उदाहरण देकर समझाता हूं। जैसे LED बल्ब। 5-6 वर्ष पहले एक LED बल्ब साढ़े तीन सौ रुपए से भी ज्यादा में मिलता था। आज वहीं बल्ब 50 रुपए तक में मिल जाता है। आप सोचिए, कीमत कम होने से, देशभर में करोड़ों की संख्या में LED बल्ब घर-घर पहुंचे हैं, स्ट्रीट लाइट्स में लग रहे हैं। ये मात्रा इतनी बड़ी है कि इससे उत्पादन की लागत कम हुई है और लाभ भी बढ़ा है।

इससे लाभ किसको मिला है? लोगों को, आम देशवासी को जिसका बिजली का बिल कम हुआ है। आज प्रतिवर्ष देशवासियों के करीब-करीब 19 हजार करोड़ रुपए बिजली के बिल में, LED की वजह से बच रहे हैं।
ये बचत गरीब को हुई है, ये बचत देश के मध्यम वर्ग को हुई है।
इसका लाभ धरती को भी हुआ है। सरकारी एजेंसियों ने जितने LED बल्ब कम कीमत पर बेचे हैं, अकेले उससे ही हर साल करीब-करीब 4 करोड़ टन कार्बन डाइ-ऑक्साइड का उत्सर्जन कम हुआ है।
यानि फायदा दोनों को है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक और अभियान अभी चल रहा है- देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का। इसमें पीपल, प्लेनेट और लाभ तीनों ही विषय संबंधित होते हैं। विशेषकर पश्चिम बंगाल के लिए तो ये बहुत ही फायदेमंद है। इससे आपके यहां जुट का कारोबार बढ़ने की संभावना बढ़ती है। क्या आपने इसका फायदा उठाया है? क्या अब पैकेजिंग मैटेरियल जूट से बनना शुरू हुआ है। एक तरह से आपकी तो पांचों उंगलियां घी में हैं। आपको तो इस मौके का और फायदा उठाना चाहिए। अगर ये मौका छोड़ देंगे, तो कौन मदद करेगा? सोचिए, जब पश्चिम बंगाल में बना जुट का बैग, हर किसी के हाथ में होगा, तो बंगाल के लोगों को कितना ज्यादा लाभ होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि UPI के माध्यम से हमारी बैंकिंग Touchless, Contactless, Cashless और 24 घंटे हो पाई है। BHIM APP से लेन-देन के अब नए-नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। रुपे कार्ड अब गरीब, किसान, मध्यम वर्ग, देश के हर वर्ग का पसंदीदा कार्ड बनता जा रहा है। जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो क्यों न गर्व के साथ रुपे कार्ड का इस्तेमाल करें?

अब देश में बैंकिंग सर्विस का दायरा उन लोगों तक भी पहुंच पाया है, जिनको लंबे समय तक बैंक खाता नहीं था। DBT, JAM यानि जनधन आधार मोबाइल के माध्यम से बिना लीकेज करोड़ों लाभार्थियों तक जरूरी सहायता पहुंचाना संभव हुआ है। इसी तरह सरकार e-marketplace, यानि GeM ने People को सरकार के साथ जुड़कर लाभ कमाने का एक अवसर दिया है। आप ये जानते ही हैं कि GeM प्लेटफॉर्म पर छोटे-छोटे सेल्फ हेल्प ग्रुप, MSMEs, सीधे भारत सरकार को अपने उत्पाद और अपनी सुविधाएं उपलब्ध करा सकते हैं। वरना पहले तो कुछ लाख के टर्नओवर वाला उद्यमी सोच ही नहीं सकता था कि वो सीधे केंद्र सरकार को अपना बनाया कोई सामान बेच सकता है।

प्रधानमंत्री ने पृथ्वी की बात करते हुआ कहा कि आप भी देख रहे हैं कि आज आइसा, यानि International Solar Alliance एक बड़ा ग्लोबल मूवमेंट बन रहा है। सोलर एनर्जी के क्षेत्र में जो लाभ भारत अपने लिए देखता है, उसको पूरी दुनिया के साथ साझा करने के लिए कोशिश की जा रही है। मेरा Indian Chamber of Commerce (ICC) के तमाम सदस्यों से अनुरोध है कि, रिन्यूएबल एनर्जी , सोलर पॉवर जनरेशन के लिए जो टार्गेट्स देश ने रखे हैं, उसमें अपने योगदान और निवेश को विस्तार दें। देश में ही सोलर पैनल की मैन्युफेक्चरिंग,पॉवर स्टोरेज बढाने के लिए बेहतर बैटरी को बनाने में निवेश करें।

ICC और उसके सदस्य, 2022 जब भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे करेगा और 2025 जब ICC अपने सौ वर्ष पूरे करेगा, तो इन अवसरों से जुड़े लक्ष्यों में, इस विषय पर भी अपने लक्ष्य तय कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि ये समय अवसर को पहचानने का है, खुद को आज़माने का है और नई बुलंदियों की ओर जाने का है। ये अगर सबसे बड़ा संकट है, तो हमें इससे सबसे बड़ी सीख लेते हुए, इसका पूरा लाभ भी उठाना चाहिए। मैं, आपको आश्वस्त करता हूं कि सरकार इसके लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, आपके साथ है।
आत्मनिर्भर भारत के मूल में है आत्म-विश्वासी भारत।