भगवान बसवेश्वर के दर्शन करते रेल राज्य मंत्री (तस्वीर:ट्विटर)

कर्नाटक आज लिंगायत समाज के दार्शनिक और 12वीं सदी के महान समाज सुधारक बसवेश्वर भगवान की जयंती है। इस मौके पर रेल राज्यमंत्री ने भगवान बसवेश्वर का दर्शन किया। पत्रकारों को दिए बयान में उन्होंने कहा कि “मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे भगवान बसवेश्वर की स्मृतियों और उनके द्वारा दिये गए ध्येय वाक्यों से जुड़कर,आत्मसात कर सीखने का और समाज कार्य करने के लिए अवसर मिला है।”

लिंगायत समुदाय और उसका इतिहास

भगवान बसवेश्वर ने 12वीं सदी में मानव कल्याण को अंतिम ध्येय मानकर “अनुभव मंटप” (मानवजाति के इतिहास का पहला संसद -लिंगायत धर्म का) स्थापित कर पुरुष-महिला असमानता मिटाना, जाति प्रथा को हटाना और समाज मे फैले अन्य हर तरह के बुराई को फैलने से रोकने का कार्य किया।

बसवेश्वर जी सदैव जन्म आधारित व्यवस्था की जगह कर्म आधारित व्यवस्था में विश्वास करते थे। उन्होंने कुरीतियों को हटाने के लिए एक नए संप्रदाय की स्थापना की, जिसे हम सभी लिंगायत समाज के नाम से जानते है।

लिंगायत धर्म आज भी उसी उद्देश्य को ध्येय मानकर समाज मे समानता,भाईचारा,नैतिकता और समृद्धि के लिए कार्य कर रहा है।