कोरोना की वजह से देश भर में लगभग 2 महीने से लॉकडाउन चल रहा है जिस कारण बहुत से काम काज ठप हो गए है लॉक डाउन के कारण श्रम मंत्रालय ने सभी सरकारी और प्राइवेट कंपनियों से कर्मचारियों की नौकरी बहाल रखने और वेतन नहीं घटाने को कहा था परंतु जमीनी सच्चाई कुछ और ही बताती है।
कोरोना वायरस के चलते लाखों लोगों की नौकरी चली गई और रोजगार छिन गया। इनमें मजदूर से लेकर ग्रेजुएट्स तक शामिल हैं। नौकरियां जाने के बाद अपने गांव लौटे लोगों के सामने अब रोजी का संकट है और ऐसे में वो नरेगा में मजदूरी करने को मजबूर हैं। करीब 65 दिन से जारी लॉकडाउन के कारण राजस्थान में कई लोगों की नौकरियां चली गईं। संकट की इस घड़ी में राज्य सरकार की मनरेगा योजना ने बेरोजगारों को संबल दिया है। न केवल मजदूर बल्कि डिग्रीधारी लोग भी मनरेगा में मजदूरी करने में जुटे हैं ।
ऐसे ही देशभर में बेरोजगारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है कंपनियों का कहना है कि जब तक काम नहीं होगा हम सैलरी कैसे देंगे वही स्कूल बंद होने के कारण शिक्षकों को भी वेतन नहीं दिया जा रहा है। और अगर ऐसे ही चलता रहा तो आने वाले समय में यह बहुत बड़ी समस्या बनकर उभर कर आएगी।
इस पर जयपुर के रहने वाले राम अवतार सिंह कहते हैं कि मैं पहले एक स्कूल में पढ़ाता था जहां मेरा वेतन 20,000 था परंतु यहां पेट भरने के लिए 235 रुपए मजदूरी करने के बाद मिलते हैं।
राजस्थान में कोरोना संक्रमण लगातार फैलता जा रहा है। बुधवार को 280 नए पॉजिटिव केस सामने आए। वहीं 3 लोगों की मौत हुई। प्रदेश में संक्रमितों का कुल आंकड़ा 7816 पहंच गया। वहीं मृतकों की संख्या 173 हो गई। अब तक 4341 लोग रिकवर हुए हैं, इनमें से 3779 को डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया। वर्तमान में 3167 एक्टिव केस बचे हैं।
प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने दावा किया कि राज्य में संक्रमण नियंत्रण में है। माइक्रो मैनेजमेंट से काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 32 जिलों में संक्रमित मिले हैं। इनमें से 12 वे जिले हैं, जो ग्रीन से रेड जोन में आ गए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में जांच की सुविधा विकसित की जा रही है। प्रदेश में कोरोना दोगुने होने की रफ्तार 18 दिन है।